शिक्षा का तंत्र तब बदलेगा जब समाज का मन बदलेगा : हनुमान सिंह
(विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत का प्रबंध समिति सम्मेलन हुआ पूर्ण)
नाथद्वारा। “विद्या भारती संगठन पीड़ा से उत्पन्न हुआ क्योंकि शिक्षाविदों को पीड़ा हुई की आखिर हम कैसी शिक्षा दे रहे है। जो लोग वोट मांगने आते है उन्हे कोई पूछता नही कि भारतीय दृष्टि से शिक्षा एवं संस्कार की व्यवस्था कौन बदलेगा?” ये विचार शिक्षाविद् हनुमान सिंह ने विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत के प्रबंध समिति सम्मेलन के समापन कार्यक्रम में विद्या निकेतन माध्यमिक विद्यालय नाथद्वारा में कहे।
हनुमान सिंह ने कहा कि शिक्षा का तंत्र तब बदलेगा जब समाज का मन बदलेगा। किसी भी समस्या को बदलना है तो समाज को बदलना होगा। व्यक्ति धर्म धारण करता था तब कोई समस्या नहीं आई। राष्ट्रीय विचारों के लोगो की संख्या बढ़ जाने पर समाज परिवर्तन होता है। इसके लिए संघ और उनके समविचारी संगठनों ने विचार किया कि सभी संघटन अपने कार्य को बढ़ावा दे। इसके लिए पंच परिवर्तन की आवश्यकता है ये पंच परिवर्तन 1.कुटुंब प्रबोधन 2.सामाजिक परिवर्तन 3.पर्यावरण 4.नागरिक कर्तव्य 5. स्व का बोध
कुटुंब में परिवार टूट रहे है। परिवार को संकुचित नही करे। हिंदू समाज को जाती के नाम पर तोड़ने का कुचक्र चल रहा है। कोई व्यक्ति समाज व जाति के नाम पर छोटा या बड़ा नही होता। न हिंदू पतितो भवेत। शुद्ध वायु एवं जल उपलब्ध हो इसके लिए पर्यावरण संरक्षण बहुत आवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को स्व के बोध से अवगत करवाते हुए गर्व महसूस हो ऐसा वातावरण बने। प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्तव्यों का पालन करे। इन पांच प्रणों से समाज बदलेगा।
कार्यक्रम में उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम वाले विद्यालय, शिशुवाटिका में सर्वाधिक वृद्धि वाले विद्यालय, सर्वाधिक सेवानिधि एकत्र करने वाले विद्यालय, स्वच्छता पुरुस्कार एवम एक वर्ष के लिए एकल विद्यालय गोद लेने वाले भामाशाओ का सम्मान हुआ।
समेलन का प्रतिवेदन डॉ सुरेंद्र कुमार अरोड़ा मंत्री विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत ने रखा। आभार प्रदर्शन डॉ संतोष आनंद अध्यक्ष विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत ने रखा और संचालन महेंद्र कुमार सिसोदिया प्रशिक्षण प्रमुख ने किया।




Leave feedback about this