सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 14
*मेघालय के राजा जो सन् 1829 से सन् 1833 तक अंग्रेजों के लिए आतंक बने रहे…
भारत भूमि सदैव उर्वरा वीर प्रसूता रही है, किन्तु इसका यह दुर्भाग्य रहा है कि यहाँ विधर्मी आक्रमणकारियों को अधिकतर कोई न कोई घर का भेदी ही मिल जाता था, जो उनकी सहायता करता था।
यदि ऐसा न हुआ होता तो संभवतः हमारे देश का इतिहास ही कुछ अलग होता। ऐसे ही स्वार्थी और लालची लोगों की वजह से हमारे देश को इतने वर्षों की दासता सहनी पड़ी।
कुछ ऐसा ही तिरोत सिंह के साथ भी हुआ। अंग्रेज उनके एक खासी सरदार को सोने का लालच देकर उससे तिरोत सिंह के ठिकाने के बारे में जानकारी लेने में सफल हो गए।
13 जनवरी, 1833 को अन्ततः ब्रिटिश खासी राजा तिरोत सिंह को पकड़ने में सफल हो गए। अंग्रेजों ने उन्हें ढाका के कारागृह में डाल दिया। उन्हें कारागृह में बहुत यातनाएँ दी गईं। अन्ततोगत्वा 17 जुलाई, 1835 को कारागृह में ही तिरोत सिंह की मृत्यु हो गई।
तिरोत सिंह की वीरता और उनकी देशभक्ति को हमारा कृतज्ञतापूर्वक कोटि कोटि नमन्।
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