टी. के. माधवन “27 अप्रैल/पुण्यतिथि”


टी. के. माधवन “27 अप्रैल/पुण्यतिथि”

टी. के. माधवन का जन्म मध्य त्रावनकोर (कार्थिकापल्ली, ज़िला अलापुझा, केरल) में 2 सितंबर 1885 ई. में हुआ था। उनके पिता केसवन चन्नर थे। उनकी औपचारिक शिक्षा अधिक नहीं हो पाई, पर अपने अध्यवसाय से उन्होंने मलयालम के साथ-साथ अंग्रेज़ी और संस्कृत का भी अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया था। वह केरल के प्रसिद्ध समाज-सुधारक और हरिजन नेता थे। उनके ऊपर दादा भाई नौरोजी, स्वामी विवेकानंद, गाँधी जी आदि के विचारों का और ‘श्रीमद्भागवद्गीता’ का भी बहुत प्रभाव था।

वायकोम सत्याग्रह केरल के पिछड़े वर्ग के लोगों का संघर्ष था, जो दक्षिण केरल के एक शहर वायकोम की मंदिर की सड़कों पर चलने का अपना अधिकार स्थापित करने के लिए था। अनुसूचित जाति के लोगों के साथ उन दिनों जिस प्रकार का भेद-भाव किया जाता था, इसका अनुभव माधवन को बाल्यकाल से ही अपनी पाठशाला से हो गया था। इस भेद-भाव को देखकर ही उन्होंने इसे मिटाने के प्रयत्न में अपना जीवन लगाने का निश्चय किया।

1924 के वायकोम मंदिर सत्याग्रह के नेता के रूप में माधवन को प्रसिद्धि मिली। हरिजनों के मंदिर प्रवेश को लेकर यह सत्याग्रह 20 महीनों तक चला। इसमें माधवन गिरफ़्तार भी किए गये।

टी. के. माधवन ने तिरुनेलवेली में गांधी से मुलाकात की और वायकोम की यात्रा करने के लिए उन्हें मनाया। गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एजेंडे में इस मुद्दे को शामिल करने के लिए सहमत हुए। मार्च 1925 में गाँधी जी वायकोम पहुँचे। वे माधवन के साथ ठहरे और सत्याग्रह आंदोलन सफलता के साथ समाप्त हुआ।

प्रभावशाली वक्ता माधवन पत्रकार भी थे। उन्होंने मलयालम के दो पत्रों का संपादन किया और अनेक पुस्तकों की रचना की।

टी. के. माधवन का निधन 27 अप्रैल, 1930 को उनके निवास पर हुआ था। उनके सम्मान में चेत्तीकुलंगरा में एक स्मारक बनाया गया। 1964 में नांगीरकुलंगरा में उनके नाम पर टी. के. माधवन मेमोरियल कॉलेज की स्थापना की गई थी।

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