Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog श्रुतम् वीरापांड्या कट्टाबोम्मन-6
श्रुतम्

वीरापांड्या कट्टाबोम्मन-6

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-20

जिन्होंने ब्रिटिश राज का विरोध किया और उन्हें दो बार हराया…

कलेक्टर लूसिंग्टन ने वीरपांड्या कट्टाबोम्मन से मिलने की इच्छा व्यक्त करते हुए उन्हें एक पत्र लिखा। कट्टाबोम्मन सशर्त उनसे मिलने को तैयार हुए। उन्होंने शर्त रखी कि पिछली भेंट में उनके आदमियों से जो सामान छीना गया था वह वापस किया जाए और अंग्रेज अपनी पिछली मुलाकात में की गई धृष्टता के लिए माफी माँगे।
यह शर्तें मानना लूसिंग्टन के लिए असंभव था। वीरापांड्या कट्टाबोम्मन जानते थे कि अंग्रेज उनकी शर्तें नहीं मानेंगे और उसकी परिणिति युद्ध में होगी। इसलिए वे अपनी ओर से पहले युद्ध की तैयारी कर रहे थे।

कट्टाबोम्मन के पलायम पंचालनकुरीची का पड़ोसी पलायम एट्टायापुरम था। वहाँ के पलायक्कर की कुछ बातों को लेकर वीरापांड्या कट्टाबोम्मन से असहमति थी।

अंग्रेजों ने उसे रिश्वत देकर कट्टाबोम्मन के विरुद्ध भड़काया और उन पर आक्रमण करने के लिए तैयार कर लिया। लूसिंग्टन ने अपनी अंग्रेजी फौज भी उसकी मदद के लिए भेजी।
एट्टायापुरम और अंग्रेजों की सम्मिलित सेना ने पंचालनकुरीची पर आक्रमण कर दिया। वीर कट्टाबोम्मन और उनकी सेना मुकाबले के लिए तैयार थी। भयंकर युद्ध हुआ और अंग्रेजों को मुँह की खानी पड़ी। एट्टायापुरम की सेना को भारी हानि हुई।

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