सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 8

वीर सावरकर-11

वीर सावरकर का ‘आत्मार्पण’

अपनी पत्नी यमुना बाई की मृत्यु (8 नवम्बर, 1963) के लगभग ढाई वर्ष बाद, 1 फरवरी, 1966 को वीर सावरकर ने अन्न, जल एवं औषधियों का परित्याग कर दिया और ‘आमरण उपवास’ आरम्भ कर दिया। इसको ‘आत्मार्पण’ कहा जाता है।

मृत्यु से पूर्व अपने एक लेख ‘आत्महत्या नहीं आत्मार्पण’ में वह कहते हैं कि–
“जब जीवन का उद्देश्य पूरा हो जाए और समाज की सेवा करने योग्य शक्ति शेष न बचे, तब मृत्यु की प्रतीक्षा करने से अच्छा है कि स्वयं मृत्यु का वरण कर लिया जाए।”

26 फरवरी 1966 को 83 वर्ष की आयु में स्वातंत्र्यवीर सावरकर का देवलोकगमन हो गया।
कृतज्ञ भारतराष्ट्र स्वातंत्र्यवीर सावरकर जैसे प्रखर राष्ट्रवादी क्रान्तिकारियों का सदैव ऋणी रहेगा..। धन्य है उर्वरा वीर प्रसूता मांभारती… जिसके वीर सपूतों ने मांभारती का मस्तक सदैव गर्व से ऊंचा रखा।
वंदे मातरम्।

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