पर्युषण का पर्व जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है।

पर्युषण का पर्व जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। इसे महापर्व भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है जिस दौरान भगवान महावीर ने शिक्षा दी थी उस समय को ही पर्युषण पर्व कहा गया था।

धार्मिक मान्यता के अनुसार पर्युषण में उपासना ही उपासना होती है। आत्मदर्शन से परमात्मा दर्शन का यह पर्व विशिष्ट भाव लिए होता हैं, इस उपासना अवधि में क्षमा धारण करके ज्ञान, दर्शन, चारित्र्य और सम्यक तप की उपासना में हर व्यक्ति धार्मिक भावनाओं ओतप्रोत होते है।

पर्युषण पर्व के दौरान जैन धर्म के लोग 10 दिनों तक व्रत उपवास तप आदि करते हैं। इसके साथ ही अपने आराध्य महावीर जी की पूजा करते हैं। जैन धर्म में श्वेतांबर जैन और दिगंबर जैन इस पर्व को अलग-अलग तिथियों पर मनाते हैं। आइए जानते हैं कि दोनों मतावलंबी किस दिन पर्युषण का पर्व मनाएंगे।

पर्यूषण पर्व, जैन समाज का एक महत्वपूर्ण पर्व है। जैन धर्म के लोग भाद्रपद मास में पर्यूषण पर्व मनाते हैं। पर्युषण में परि का अर्थ है चारों ओर से वहीं, उषण का अर्थ होता है धर्म की अराधना। पर्युषण का अर्थ हुआ चारों ओर से धर्म की अराधना। आइए जानते हैं पर्युषण का महत्व और परंपरा।

जैसा कि हम जानते हैं जैन धर्म में दो पंथों में बटा हुआ है, एक श्वेतांबर जैन और दूसरा दिगंबर जैन। श्वेतांबर जैन पर्यूषण के पर्व को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से लेकर भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि तक मनाते हैं। ऐसे में श्वेतांबर, 12 सितंबर 2023 से 19 सितंबर 2023 तक पर्युषण का पर्व मनाएंगे। दिगंबर जैन का पर्युषण पर्व 10 दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत 19 सितंबर 2023 को होगी और 29 सितंबर 2023 को इसका समापन होगा।

पर्युषण पर्व का महत्व (Importance of Paryushan)
पर्युषण का पर्व जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्वों में से एक है। इसे महापर्व भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है जिस दौरान भगवान महावीर ने शिक्षा दी थी उस समय को ही पर्युषण पर्व कहा गया था। इस महापर्व के दौरान जैन समाज के लोग भक्ति भाव के साथ अभिषेक, विशेष पूजा अर्चना, आराधना, तप, ध्यान करते हैं।

पर्युषण का पर्व यह साधक को उत्तम गुण अपनाने की प्रेरणा देता है। इन दस दिनों में जैन धर्म के लोग व्रत, तप, साधना करके आत्मा की शुद्धि का प्रयास करते हैं। साथ ही यह भी माना जाता है कि सालभर के सांसारिक क्रिया-कलापों के कारण जीवन में जो भी दोष आ जाते हैं उन्हें यह पर्व दूर करने का काम करता है।

पर्व के अंतिम दिवस संवत्सरी महापर्व पर धर्म जागृति का भाव रखकर 8वें दिन कषायों की शांति के लिए क्षमा को धारण करते हुए चिंतन किया जाता है तथा ज्ञान, दर्शन, चारित्र एवं तप की साधना को अंगिकार करते हुए सभी से क्षमायाचना की जाती है। बता दें कि इस बार संवत्सरी पर्व 20 सितंबर 2023, दिन बुधवार को मनाया जाएगा।

आपको बता दें कि दिगंबर जैन समुदाय का खास महापर्व ‘दसलक्षण’ यानी पर्युषण पर्व की शुरुआत 19 सितंबर 2023 से होगी तथा इसका समापन 28 सितंबर को होगा। तथा क्षमावाणी पर्व 29 सितंबर को मनाया जाएगा।

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