आत्मनिर्भर भारत तथा हमारी अवधारणा-22

देश में खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ा है, यह स्वागत योग्य है, परन्त रसायनों के अधिक उपयोग के कारण भूमि विषैली हो रही है, इसको भी ध्यान में रखना है। देश के हर घर तक बिजली पहुँचाने का सपना पूरा हो रहा है, परन्तु थर्मल प्लांट का प्रदूषण है, वह खतरनाक है। विकास के समय इसको भी ध्यान में रखना है। जीवन-मूल्यों का संकल्प और नई तकनीकी, इन दोनों में पर्याप्त सामंजस्य बनाना बहुत आवश्यक है।

आमदनी बढ़ रही है, उद्योग-धंधे बढ़ रहे हैं, भौतिक सुख-सुविधाओं की व्यवस्था भी बढ़ रही है, पर क्या मनुष्य का जीवन पहले से अधिक आनंदमय हो रहा है ? जीवन-मूल्यों पर आने वाला संकट उसको मानसिक कष्ट देगा। आमदनी बढ़ने से पारिवारिक जीवन आनंदमय होता है क्या ? इस पर भी विचार करना होगा। ये विश्वव्यापी संकट है। अपने को विकास की अवधारणा और आत्मनिर्भरता के संकल्प में इसे भी देखना है।

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