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“धर्म का पालन ही धर्म की रक्षा’

“धर्म का पालन ही धर्म की रक्षा’

धर्म का आचरण करने से ही धर्म की रक्षा होगी, क्योंकि धर्म का आचरण करने वाला ही धर्म को समझ सकता है।”

“गत दिसंबर को अमरावती में आयोजित ‘महानुभाव आश्रम’ का शतकपूर्ति महोत्सव  के मुख्य अतिथि और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने कहा कि धर्म का आचरण करने से ही धर्म की रक्षा होगी, क्योंकि धर्म का आचरण करने वाला ही धर्म को समझ सकता है।

धर्म को समझना पड़ता है। वैसे धर्म को समझना कठिन है, क्योंकि आजकल लोगों में अहंकार बहुत है और थोड़े से ज्ञान पर घमंड करने वाले को ब्रह्मा भी नहीं समझा सकते। एक बार धर्म को समझ लेने के बाद उसे मन में नहीं रखना होगा, बल्कि बुद्धि में लाना होगा और वांछित धार्मिक कार्य करना होगा।

उन्होंने कहा कि अतीत में गलत धारणाओं के कारण मजहब के नाम पर अत्याचार हुए। ज्ञानवर्धक पंथ और संप्रदाय हमारे देश की शान हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी महानुभाव संप्रदाय का कार्य अनवरत जारी रहता है और उसका सम्मान किया जाता है। चाहे कोई भी संप्रदाय हो, वह हमें एक-दूसरे से जुड़ना सिखाता है। एकता शाश्वत है। सारा विश्व एक है। अहिंसा से कार्य करना ही धर्म की रक्षा है। धर्म को सही ढंग से समझने से समाज में शांति, सद्भाव और समृद्धि आ सकती है।

धर्म का सच्चा उद्देश्य मानवता की सेवा और मार्गदर्शन करना है, न कि किसी प्रकार की हिंसा या अत्याचार को बढ़ावा देना। उन्होंने कहा कि धर्म का अधूरा ज्ञान अधर्म की ओर ले जाता है। धर्म हमेशा से अस्तित्व में रहा है और दुनिया में सब कुछ उसी के अनुसार चलता है। इसलिए इसे सनातन कहा गया है। धर्म का पालन करना ही धर्म की रक्षा है। कार्यक्रम में संपूर्ण देश से आए संतों-महंतों के साथ-साथ राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे, पूर्व सांसद नवनीत राणा सहित अनेक वरिष्ठ जन

उपस्थित थे।”

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