ब्रिगेडियर भवानी सिंह का जन्म महाराजा सवाई मानसिंह (द्वितीय) के सबसे बड़े पुत्र के रूप में 22 अक्टूबर 1931 को हुआ|
इनकी आरंभिक शिक्षा शेषनाग (कश्मीर), दून स्कूल (देहरादून) और फिर हैरो (इंग्लेंड) में हुई|
10 अक्टूबर 1967 को इनका विवाह राजा राजेंद्र प्रकाश बहादुर, सिरमूर के राजघराने की कन्या पद्मिनी देवी से मार्कंड नदी के तट पर बसे सिरमूर की राजधानी नहान में हुआ, जिनसे 30 जनवरी 1971 को जन्मी इनकी एकमात्र पुत्री दिया कुमारी हैं|
1951 में इनकी पहली नियुक्ति भारतीय थलसेना में तीसरी केवेलरी रेजिमेंट में सेकण्ड लेफ्टिनेंट के कमीशंड पद पर हुई| तीन साल बाद, 1954 में इनका चयन राष्ट्रपति अंगरक्षक के बतौर किया गया जिस पद पर यह सबसे लम्बा अरसा- करीब 9 साल तक रहे|| 1963 में राष्ट्रपति भवन से इनका तबादला HQ 50 (Indep) Para Brigade में हुआ| 1964-67 के बीच यह देहरादून में भारतीय मिलिट्री अकादमी में ‘एड्जुटेंट’ के पद पर कार्यरत रहे | जून 1967 में 10 पैरा कमांडो यूनिट में नियुक्ति के लिए इनके स्वेच्छापूर्वक शामिल होने के अगले साल 1968 में इन्हें ‘कमांडिंग-ऑफिसर’ पदभार दिया गया| बांगला देश की लड़ाई से पहले इन्होने भारतीय सेना द्वारा ‘मुक्तिवाहिनी’ को प्रशिक्षण प्रदान करने में भी सहयोग दिया| 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध में ‘अपनी बटालियन का कुशल नेतृत्व करने और असाधारण शौर्य प्रदर्शित करने’ के सम्मानस्वरूप सेना का दूसरा सर्वोच्च-सम्मान ‘महावीर चक्र’ प्रदान किया गया| (इसी युद्ध में उनकी बटालियन को दस शौर्य पदक मिले थे|) 1974 में इन्होने सेना से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली किन्तु प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति के आग्रह पर इन्होने श्रीलंका में चल रहे ‘ ओपरेशन पवन’ में पंहुच कर अपनी पुरानी यूनिट (10 Para) के जवानों और अफसरों का ‘मनोबल’ बढ़ाया | इन सेवाओं के सम्मानस्वरुप भारत के राष्ट्रपति (सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर) ने सेवानिवृत्ति के उपरांत भी इन्हें आजीवन ‘ब्रिगेडियर’ पद धारण करने का सम्मान दिया| ब्रिगेडियर भवानी सिंह ब्रूनी राष्ट्र (Brunei) में जुलाई 1993 से जनवरी 1997 तक पहले रेजिडेंट उच्चायुक्त भी रहे ।
17 अप्रैल 2011 को गुडगाँव के एक निजी नर्सिंग होम में कुछ समय अवस्थ रहने के बाद इनका निधन हुआ|
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