छत्रपति शिवाजी “3 अप्रैल/पुण्यतिथि”


छत्रपति शिवाजी “3 अप्रैल/पुण्यतिथि”

शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को शिवनेरी दुर्ग, पुणे, महाराष्ट्र में हुआ था। उनका पूरा नाम शिवाजी राजे भोंसले था। उनके पिता का नाम शाहाजी और माता का नाम जीजाबाई था। शिवाजी पर उनकी मां के धार्मिक गुणों का गहरा प्रभाव था।

उनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही हुई। उन्हें धार्मिक, राजनीतिक, और युद्ध विद्या की शिक्षा दी गई। शिवाजी की मां जीजाबाई और कोंडदेव ने उन्हें महाभारत, रामायण और अन्य प्राचीन भारतीय ग्रंथों का पूरा ज्ञान दिया। उन्होंने बचपन में ही राजनीति और युद्ध नीति सीख ली थी। उनका बचपन राजा राम, गोपाल, संतों तथा रामायण, महाभारत की कहानियों और सत्संग के बीच बीता। वह सभी कलाओ में माहिर थे।

तोरणा फोर्ट की लड़ाई (1645) पुणे में स्थित तोरणा किला प्रचंडगढ़ के नाम से भी जाना जाता है। 1645 में यहां हुई लड़ाई का हिस्सा शिवाजी भी थे। तब उनकी उम्र 15 साल थी। छोटी उम्र में ही अपना युद्ध कौशल दिखाते शिवाजी ने इसमें जीत दर्ज की थी।
प्रतापगढ़ का युद्ध (1659) ये महाराष्ट्र के सतारा के पास प्रतापगढ़ किले पर लड़ा गया था। इस युद्ध में शिवाजी ने आदिलशाही सुल्तान के साम्राज्य पर आक्रमण किया और प्रतापगढ़ का किला जीत लिया।
पवन खींद की लड़ाई (1660) महाराष्ट्र के कोल्हापुर के पास विशालगढ़ किले की सीमा में ये युद्ध बाजी प्रभु देशपांडे और सिद्दी मसूद आदिलशाही के बीच लड़ा गया।
सूरत का युद्ध (1664): गुजरात के सूरत शहर के पास ये युद्ध छत्रपति शिवाजी महाराज और मुगल सम्राट इनायत खान के बीच लड़ा गया। शिवाजी की जीत हुई।
पुरंदर का युद्ध (1665) इसमें शिवाजी ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ लड़ाई लड़ी और जीत हासिल की।
सिंहगढ़ का युद्ध (1670) इसे कोंढाना के युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। मुगलों के खिलाफ लड़कर शिवाजी की फौज ने पुणे के पास सिंहगढ़ (तत्कालीन कोंढाना) किला जीता था।
संगमनेर की लड़ाई (1679) मुगलों और मराठाओं के बीच लड़ी गई ये आखिरी लड़ाई थी जिसमें मराठा सम्राट शिवाजी लड़े थे।

शिवाजी को कई उपाधियां मिली थीं। 6 जून, 1674 को रायगढ़ में उन्हें किंग ऑफ मराठा से नवाजा गया। इसके अलावा छत्रपति, क्षत्रियकुलवंतस, हिन्दवा धर्मोद्धारक जैसी उपाधियां उनकी वीरता के कारण दी गईं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं-
आदिलशाह का षड्यंत्र: बीजापुर के शासक आदिलशाह ने एक षड्यंत्र के तहत उन्हें गिरफ्तार करने की योजना बनाई। इसमें शिवाजी तो बच गए, लेकिन उनके पिता शाहाजी भोसले को आदिलशाह ने बंदी बना लिया। शिवाजी ने हमला करके पहले अपने पिता को मुक्त कराया। फिर पुरंदर और जावेली के किलों पर भी अपना अधिकार कर लिया।
उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई जंग लड़ी और जीतीं।
उनकी गुरिल्ला युद्ध कला दुश्मनों पर भारी पड़ती थी।
उनकी नीतियों, सैन्य योजनाओं और युद्ध प्रतिभा की वजह से सब उनका लोहा मानते थे।
उनकी शक्तिशाली सेना की वजह से वे महाराष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता बने।

औरंगजेब ने शिवाजी को धोके से कैद कर लिया था। लेकिन अपनी अक्लमंदी और चतुराई से वे कैद से छूट गए और फिर औरंगजेब की सेना के खिलाफ युद्ध किया। पुरंदर संधि के तहत दिए हुए 24 किलों को वापस जीत लिया।

3 अप्रैल 1680 को महान छत्रपति शिवाजी की मृत्यु हो गई।

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