विकसित भारत 2047 की संकल्पना-4
अपनी आजादी का यह अमृतकाल का प्रारंभिक समय इस चिंतन लेखन का अच्छा प्रारंभ बिंदु भी हो सकता है।
विचारणीय विषय यह है कि देश व समाज ही सर्वोपरि होता है, सरकार नहीं। और किसी भी राष्ट्रीय नीति (विशेषकर विकास नीति) को केवल सरकार के अधिकारी ही बनाएं, यह भारतीय चिंतन नहीं। इसलिए संपूर्ण समाज को इसमें आगे आकर विमर्श करना चाहिए।
प्रत्येक क्षेत्र में भारत का विकास मानचित्र कैसा हो? उसे बनाने में सम्पूर्ण भारतीय समाज को, उसके विद्वानों को, सामाजिक, राजनैतिक कार्यकर्ताओं को, इस वृहद विषय पर चिंतन, मनन करके एक व्यापक विमर्श से सहमति बनानी ही चाहिए। यही राष्ट्रीय कर्तव्य है और देशभक्ति भी है।