श्रुतम्

विकसित भारत 2047 की संकल्पना-5

विकसित भारत 2047 की संकल्पना-5

भारत की भावी विकास यात्रा की रुपरेखा रेखांकित करते हुए हमें यह भी ध्यान रखना होगा कि भारत के लिए केवल अपने बारे में ही चिंतन करना पर्याप्त नहीं, बल्कि उसे एक वैश्विक दृष्टिकोण से अपने विकास का मानदण्ड बनाना होगा। क्योंकि भारत विश्व का चिरपुरातन देश ही नहीं है अपितु संपूर्ण वैश्विक इतिहास में भारत की भूमिका अग्रणी व नेतृत्वकर्ता की रही है। आर्थिक क्षेत्र से लेकर सांस्कृतिक क्षेत्र तक विश्व को भारत ने सदैव मार्गदर्शन दिया है।

फिर कालचक्र घुमा और भारत को विदेशियों से अपनी रक्षा के लिए संघर्ष में ही सात-आठ सौ वर्ष लगाने पड़े। ऐसी स्थिति में हम अपने विश्व नेतृत्वकर्ता की भूमिका को भी भूल गए।
किन्तु वर्तमान में जब हम पुनरपि इस दिशा में बढ़ रहे हैं तो हमें इस प्रकार का पुनः प्रेरक प्रतिमान गढ़ना चाहिए, जो विश्व को भी प्रेरणा दे सके और भारत को भी एक विकसित, सम्पन्न, पूर्ण रोजगारयुक्त देश बना सके। जो पर्यावरण हितैषी तो हो ही, साथ ही उच्च जीवन मूल्यों के साथ अपने अभ्युदय व निश्रेयस अर्थात परमवैभव को भी प्राप्त कर सके।

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