श्रुतम्

विकसित भारत 2047 की संकल्पना-20

विकसित भारत 2047 की संकल्पना-20

जनसंख्या लाभांशः अब भारत का समय है-3

हमें अमेरिका, चीन, जापान और यूरोप देशों द्वारा अपनी जनसंख्या को अपनी शक्ति न समझने और उसे विकास में बाधा मानने के जो कटु अनुभव आज उनके द्वारा अनुभव किए जा रहे हैं, उनसे हमें शिक्षा लेनी चाहिए।
हमें अपनी जनसंख्या विशेषकर युवा जनसंख्या को अपनी विशिष्ट शक्ति और अवसर मानकर उसे कैसे हम भारत की उन्नति का सबसे बड़ा मार्ग बना सकते हैं, इस विषय पर चिंतन करना ही चाहिए। सरकार और नीति निर्धारकों को भी इसे नए दृष्टिकोण से न केवल सोचना होगा, बल्कि उस अनुसार नीति-निर्माण करते हुए भारत की प्रगति के नए मार्ग भी बनाने होंगे।

राष्ट्रीय स्तर पर भारत की इस समय जनसंख्या गति का प्रकार उचित है। किंतु यह अलग-अलग प्रांतों में भिन्न-भिन्न भी हो गया है। राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो 0 से 14 आयु वर्ग में लगभग 30 प्रतिशत जनसंख्या है, 23 प्रतिशत प्रमुख युवा है (15 से 29 आयु वर्ग)। जो बड़ी आयु है, अर्थात 60 व उससे अधिक वाले तो केवल देश में 8 प्रतिशत लोग हैं।
भारत की जो कार्यशील जनसंख्या है, 17 से 65 आयु वर्ग में, वह 62.5 प्रतिशत है, और ऐसा अनुमान है कि यह वर्ष 2035-36 तक अधिकतम 65 प्रतिशत तक जाएगी। अतः मेक इन इंडिया की सोच को व्यवहारिक बनाने हेतु कौशल विकास और उद्यमिता को व्यापक और प्रभावी बनाना अत्यावश्यक है।

यद्यपि भारत में भी प्रांत अनुसार देखेंगे तो दृश्य भिन्न-भिन्न प्रकार का है। उदाहरण के लिए केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात अर्थात दक्षिण और पश्चिम भारत जो है, यह भी अब बूढ़ा हो चला है। जबकि बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, असम और पूर्वोत्तर के राज्य अभी काफी युवा हैं।
इन प्रदेशों की सकल प्रजनन दर याने प्रति दम्पत्ति की संतान- टीएफआर (Total Fertility Rate) अभी भी 2.3 या 2.4 बना हुआ है, जबकि महाराष्ट्र का 1.7, केरल और तमिलनाडु का 1.8 आ गया है।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video