विकसित भारत 2047 की संकल्पना-25

जनसंख्या का चिंतनीय पक्ष:

यह ठीक है कि भारत अगले 25-30 वर्षों तक जनसंख्या के लाभांश के दौर में है और इसका लाभ भारत को मिलेगा भी, किन्तु एक दूसरा पक्ष यह भी है कि भारत का सकल प्रजनन दर (टोटल फर्टिलिटी रेट TFR- अर्थात एक महिला की जीवन में प्रजनन दर) यह 2.0 आ गया है। जबकि जनसंख्या स्थिरता दर NRR (Net Reproductive Rate) 2.1 होती है। जनसंख्या विशेषज्ञों का अनुमान था कि 2.1 से कम टीएफआर 2025-26 में होगा, किंतु यह चार-पांच वर्ष पूर्व 2021 में ही हो गया है।

हम सब जानते हैं कि गिरती जनसंख्या दर आर्थिक विकास को प्रभावित करती है। इस समय विश्व के प्रमुख देश जैसे- अमेरिका, जापान, चीन, जर्मनी और यूरोप गिरती जनसंख्या से बुरी तरह प्रभावित हैं। जहां एक तरफ वृद्धों की जनसंख्या बढ़ रही है, तो दूसरी तरफ टीएफआर नीचे आ रहा है।
जापान की प्रजनन दर 1.4, चीन की 1.1, अमेरिका की 1.6 और यूरोप की 1.4 हो गई है। इसका परिणाम उनकी आर्थिक प्रगति पर भी पढ़ रहा है। इन देशों की विकास दर 2 प्रतिशत से भी नीचे आ गई है।

सामान्यतः यह दिख रहा है कि आयु का और आर्थिक प्रगति का सीधा संबंध रहता है। इन देशों की आर्थिक प्रगति के गिरते ग्राफ का एक बड़ा कारण, उनकी आबादी का बुजुर्ग होना और टीएफआर का निम्न स्तर की तरफ जाना है।
इससे पारिवारिक व सामाजिक ताना-बाना वहां बिखर रहा है, जो समृद्धि, शांति व स्थिरता की पहली अनिवार्य शर्त रहती है। इससे मौसी, बुआ, मामा, ताऊ, चाचा जैसे रिश्ते भी विलुप्त होते जा रहे हैं और एकल परिवार रह गए हैं। ‘दुर्भाग्य से भारत के उच्च शिक्षित वर्ग, सम्पन्न वर्ग तथा दक्षिण-पश्चिम भाग में भी यह स्थिति दिखाई देने लगी है।’

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