विकसित भारत 2047 की संकल्पना-28
समृद्ध, सशक्त एवं खुशहाल भारत-2
अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक की अध्ययन के पश्चात दी गई रिपोर्ट (कि पौने दो सौ वर्षों में अंग्रेज भारत से कर या अन्य तरीकों से 45 ट्रिलियन डॉलर लूट कर ले गए) को भारतीय विदेश मंत्री डाॅ. एस. जयशंकर प्रसाद व सांसद शशि थरूर ने भी इसे अति विश्वासनीय माना है।
इसी तरह से ओईसीडी ने एक स्टडी कराई, जिसका प्रोफेसर एंगेस मेडिसिन ने नेतृत्व किया। उनके साथ अर्थशास्त्रियों की एक व्यापक बड़ी टीम ने लंबे समय अध्ययन करने के पश्चात यह निष्कर्ष निकाला कि- ‘पहले वर्ष से लेकर 1500 ईस्वी तक विश्व भर में जो भी उत्पादन होता था, उसका लगभग 33 प्रतिशत भारत से ही आता था। इस कारण से भारत ने अकूत धन संपदा अर्जित की।’
लगातार विदेशी आक्रमणों के कारण तथा आक्रांताओं के द्वारा भारतीय कुटीर उद्योग व्यवस्था को नष्ट करने के उपरांत भी विश्व उत्पादन में हिस्सेदारी सन् 1700 ई तक 24 प्रतिशत और सन् 1870 तक 16 प्रतिशत व सन् 1820 तक यह 12 प्रतिशत बनी रही। सन् 1947 में जब अंग्रेज गए तो हमारी विश्व उत्पादन में दो प्रतिशत से भी कम के हिस्सेदारी रह गई। (यह स्थिति अर्थशास्त्री उत्सा पटनायक की रिपोर्ट को प्रमाणित करती है।)
अर्थात भारत ने उत्पादन और अर्थ सृजन के मामले में विश्व का एक लंबे समय तक न केवल नेतृत्व किया है, बल्कि इस सारे कालखंड में किसी प्रकार के पर्यावरण प्रदूषण की समस्या भी कभी नहीं रही। पर्यावरण हितैषी विकेंद्रित उद्योग रचना, यह भारत के विकास के प्रतिमान की विशेषता रही है।
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