जिहादी रक्तबीज, हर बूँद से नया रूप-12
एंग्लो-मुस्लिम गठजोड़
(Anglo-Muslim Alliance)
‘दिनिया’ के सिद्धांत पर वापस लौटते हैं। इसी क्रम में सन् 1940 में रहमत अली ने ‘मिल्लत ऑफ इस्लाम एंड मिनांस ऑफ इंडियनिज्म (Millat of Islam and Menance of Indianism )’ और सन् 1942 में ‘द मिल्लत एंड इट्स मिशन (The Millat and its Mission)’ शीर्षक वाले पंपलेट जारी किए थे। इसमें उसने बहुत चालाकी से दिनिया का विचार आगे बढ़ाया था।
‘दिनिया’ वह क्षेत्र है जो आज भले ही इस्लामिक राष्ट्र न हो; परन्तु, इस्लाम के नजरिये से वहाँ इस्लामिक राष्ट्र बनने की संभावनाएँ हों। मुसलमानों के सबको इस्लाम के दायरे में लाने के उत्साह का लाभ उठाते हुए इस क्षेत्र का इस्लामिक शासन में आ जाना; बस समय का फेर है।
इसी क्रम में उन्होंने भविष्यवाणी की थी, कि–
- आज के असम व बंगाल को मिलाकर बंग-ए-इस्लाम या बंगिस्तान बनेगा।
- बिहार, उत्तर प्रदेश एवं राजपूताना से क्रमशः फर्रूकिस्तान, हैदरस्तान व मोइनिस्तान अस्तित्व में आएगा।
- एक समय मुस्लिम के शासन के अंतर्गत रहा हैदराबाद, ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ उस्मानिया’ बनेगा।
- मालाबार में मोपलिस्तान और अन्य क्षेत्रों को मिला कर सैफीस्तान और नसरिस्तान बनेंगे।
रहमत अली ने दिनिया का जो नक्शा बनाया था, वह हमेशा से हर क्षेत्र के जिहादियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत रहा है। इसी दिशा में चल रहा दुष्प्रचार सबके सामने है। कम से कम बंग इस्लाम का उद्देश्य तो लगभग वास्तविकता का रूप लेता जा रहा है।
पूरे भारत को निगल कर एक इस्लामिक राष्ट्र बनाने की धार्मिक चाह ही जिहादी गतिविधियों की प्रेरणा स्रोत रही है। स्वतंत्रता के बाद के दौर में उनकी गतिविधियाँ इसी मंशा को पूरा करने की कोशिश है।
Leave feedback about this