पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई)-1
भारत पूरी दुनिया पर अपनी छाप छोड़ रहा है। वे विदेशी ताकतें, जो हमेशा से हमें टकराव में उलझाए रखने की साजिशें रचती थी, आज उनमें पराजय का भाव है। दुनिया के सबसे बड़े बाजार और सबसे बड़ी युवा श्रम शक्ति से युक्त होकर हम अपने आचरण, क्षमता और साहस का अधिकतम संभव प्रयोग करके बड़े लक्ष्य प्राप्त करने की ओर अग्रसर हैं।
संक्रमण के इस दौर में कुछ विध्वंसकारी शक्तियों की पहचान बहुत आवश्यक है।
11 अगस्त 2020 को बेंगलुरू में हिंसा भड़क उठी थी। दंगाइयों का संगठित गिरोह हथियारों के साथ निकला और कांग्रेस पार्टी के दलित विधायक अखंड श्रीनिवासमूर्ति के आवास को आग के हवाले कर दिया। रास्ते में जो भी सरकारी संपत्ति मिली, राख कर दी गई। भारी भीड़ अल्लाह-हू-अकबर और नारा-ए-तकबीर के नारे लगाते हुए हिंसा कर रही थी। ऐसा लग रहा था, कि मानो ये भीड़ ऐसे ही काम के लिए प्रशिक्षित थी।
स्पष्ट तौर पर वजह ये थी कि विधायक के भतीजे ने सोशल मीडिया पर एक ग्राफिक पोस्ट कर दिया था, जो कथित तौर पर गैर इस्लामिक था।
बाद में गिरफ्तारियाँ हुईं तो पुलिस ने पाया कि पीएफआई के राजनीतिक संगठन, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई; SDPI) के कई वरिष्ठ नेता इस हिंसा में शामिल थे।
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