सम्पर्क में तज्ञ दिनेश गोयल “29 जनवरी/जन्म दिवस”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री दिनेश गोयल का जन्म शनिवार 29 जनवरी, 1944 (वसंत पंचमी) को ग्राम चांग (जिला भिवानी, हरियाणा) में एक सामान्य कृषक श्री लक्खीराम एवं श्रीमती सरबती देवी के घर में हुआ था। यद्यपि विद्यालय में उनकी जन्मतिथि 13 दिसम्बर, 1943 लिखी है। छह भाई-बहिनों में उनका नंबर तीसरा है। गांव में मुसलमानों की संख्या अधिक होने के कारण विभाजन के समय प्रायः सभी हिन्दुओं ने गांव छोड़ दिया। श्री लक्खीराम जी भी भिवानी आकर एक व्यापारी के पास मुनीम हो गये।
दिनेश जी ने कक्षा 12 तक की शिक्षा भिवानी में पायी। 1955 में अपने एक कक्षामित्र के साथ शाखा जाने से उनका संघ जीवन प्रारम्भ हुआ। उन्होंने 1958, 59, 61 और 63 में क्रमशः प्राथमिक और तीनों संघ शिक्षा वर्ग का प्रशिक्षण प्राप्त किया। 1967 में हिसार से बी.ए. कर वे प्रचारक बने।
उन पर क्रमशः फरीदाबाद नगर, बल्लभगढ़ तहसील, गुड़गांव जिला, रोपड़ जिला, तरनतारन जिला, फरीदकोट जिला, भटिंडा जिला, फिरोजपुर विभाग और जम्मू विभाग प्रचारक की जिम्मेदारी रही। कुछ समय वे अमृतसर कार्यालय प्रमुख भी रहे। विशेष अभिरुचि के कारण वे शारीरिक और घोष वर्गों में भी जाते रहे। वे दो बार संघ शिक्षा वर्ग में मुख्यशिक्षक बने। 1984 में सरसंघचालक श्री बाला साहब देवरस ने अपने अबोहर प्रवास में घोष की बहुत प्रशंसा की।
आपातकाल में प्रवास के दौरान गीदड़बाहा में वे पकड़े गये। दो माह वहीं जेल में रखकर फिर उन्हें भटिंडा और फरीदकोट भेजा गया। साधारण धाराएं होने के कारण भटिंडा जेल से वे रिहा हो गये थे; पर पुलिस ने उन्हें फिर जेल भेज दिया। 1977 की जनवरी में वे फरीदकोट जेल से रिहा हुए। इस बार कार्यकर्ता तैयार थे। वे उन्हें एक गाड़ी में बैठाकर पुलिस की नजरों से दूर ले गये। दिनेश जी अपनी सायं शाखा के मुख्य शिक्षक अजीत जैन और वरिष्ठ प्रचारक श्री प्रेम गोयल का अपने संघ जीवन में विशेष योगदान मानते हैं।
1987 में उन्हें जम्मू-कश्मीर प्रांत का विश्व हिन्दू परिषद का संगठन मंत्री बनाया गया। 1988 में उन्हें महाकौशल प्रांत का काम दिया गया। वर्तमान छत्तीसगढ़ राज्य तब उस प्रांत में ही था। 1991 से 99 तक वे अंदमान-निकोबार में संगठन मंत्री रहे। इस दौरान वहां सर्वप्रथम ‘श्रीराम पादुका पूजन’ कार्यक्रम हुए। इसके बाद कई मंदिरों में साप्ताहिक सत्संग तथा बस्तियों में संस्कार केन्द्र प्रारम्भ हुए। इससे वहां ईसाइयों का आना बंद हो गया।
2000 से 2003 तक पटना केन्द्र बनाकर वे पहले मध्य बिहार और फिर बिहार क्षेत्र संगठन मंत्री रहे। फिर एक वर्ष वे नेपाल भी रहे। 2004 में सुनामी आपदा के बाद उन्हें फिर अंदमान बुला लिया गया। उन्होंने अपने व्यापक सम्पर्क के कारण वहां सेवा व पुनर्वास कार्यों में विशेष योगदान दिया। 2009 में कोलकाता आकर उन्होंने दक्षिण बंगाल प्रांत का विशेष सम्पर्क विभाग का काम संभाला।
दिनेश जी 1989 में जबलपुर में थे। उस दौरान अयोध्या में कारसेवा के आह्नान पर अपेक्षा से बहुत अधिक लोग गये। 1992 की कारसेवा में अंदमान से श्री विष्णु पद राय (सम्प्रति भा.ज.पा. सांसद) के नेतृत्व में 21 लोग गये। जाने से पूर्व ‘तिरंगा पार्क’ में उनका सार्वजनिक सम्मान हुआ। बाबरी ढांचे के ध्वंस के बाद वि.हि.प. पर प्रतिबंध लग गया। कांग्रेसियों के दबाव पर पुलिस ने उन्हें एक रात थाने में रखा; पर अगले ही दिन न्यायालय ने छोड़ दिया। रामसेतु रक्षा आंदोलन के समय अंदमान में तैरती हुई ‘रामशिला’ को रथ पर सजाकर 125 स्थानों पर ले जाया गया। कई विरोधियों ने उसे जांचने के लिए दूसरे पानी में डाला; पर उसे पूर्ववत तैरते देख वे भी श्रद्धालु बन गये। 2012 से वे वि.हि.प. के दिल्ली स्थित केन्द्रीय कार्यालय पर रहकर विशेष सम्पर्क विभाग के केन्द्रीय कार्यालय को संभाल रहे थे। 21 अक्तूबर, 2021 को दीर्घ बीमारी के बाद उनका देहांत हो गया।
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