दीर्घकालिक योजनाओं के शिल्पी डा. अविनाश आचार्य “2 नवम्बर/जन्म-दिवस”
भारत में सहकार आंदोलन अभी नया ही है; पर इसे ठोस आधार देने वालों में डा. अविनाश आचार्य (दादा) का नाम प्रमुख है। उनका जन्म दो नवम्बर, 1933 को जलगांव (महाराष्ट्र) में डा. रामचंद्र एवं श्रीमती लीलाबाई आचार्य के घर में हुआ था। शिशु अवस्था में ही वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े और फिर आजीवन उसमें सक्रिय रहे। प्राथमिक शिक्षा जलगांव में ही पाकर उन्होंने मुंबई से एम.बी.बी.एस. और मंगलौर (कर्नाटक) से एम.डी. की उपाधि ली। इस दौरान उन्होंने ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद’ में भी काम किया।
शिक्षा पूर्ण कर उन्होंने पुणे में डा. पूर्णपात्रे के साथ चिकित्सा कार्य प्रारम्भ किया। निर्धनों के प्रति सहानुभूति होने के कारण उन्होंने कुछ समय जलगांव नगर निगम में भी अपनी सेवाएं दीं। अपनी विनम्र भाषा तथा सहृदयता के कारण वे समाज के हर वर्ग में लोकप्रिय हो गये। 1967 से 88 तक वे जलगांव जिला संघचालक रहे।
1970 के दशक में इंदिरा गांधी ने क्रमशः सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं की हत्या कर दी। श्री जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में इसके विरुद्ध प्रबल आंदोलन हुआ। उत्तर महाराष्ट्र में इस आंदोलन के सर्वमान्य नेता होने के कारण डा. अविनाश आचार्य शासन की काली सूची में आ गये। 1975 में आपातकाल लगते ही उन्हें ‘मीसा’ के अन्तर्गत पुणे की यरवदा जेल में डाल दिया गया, जहां से वे आपातकाल की समाप्ति के बाद ही निकल सके।
डा. आचार्य की सरसंघचालक श्री गुरुजी, नानाजी देशमुख, दत्तोपंत ठेंगड़ी, बापूराव लेले, केशवराव दीक्षित, शेषाद्रि जी, तात्या बापट, यादवराव जोशी, मोरोपंत पिंगले, लक्ष्मण श्रीकृष्ण भिड़े आदि वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से बहुत निकटता था। जेल से आकर उन्होंने 20 जनवरी, 1979 को ‘जलगांव जनता सहकारी बैंक’ की स्थापना की। शीघ्र ही यह प्रकल्प लोकप्रिय हो गया।
इसके बाद उन्होंने जनसेवा के लिए क्रमशः कई संस्थाओं का निर्माण और संचालन किया। शिक्षा क्षेत्र में विवेकानंद प्रतिष्ठान, शानभाग विद्यालय, श्रवण विकास केन्द्र तथा विशेष मार्गदर्शन वर्ग; चिकित्सा क्षेत्र में माधवराव गोलवलकर स्वयंसेवी रक्तपेढ़ी, मांगीलाल जी बाफना नेत्रपेढ़ी एवं नेत्र चिकित्सालय, रुग्ण वाहिका; सांस्कृतिक क्षेत्र में ललित कला अकादमी तथा पारंपरिक कलाओं के प्रोत्साहन के लिए भूलाभाई महोत्सव; सामाजिक क्षेत्र में मातोश्री वृद्धाश्रम तथा बहुत कम मूल्य पर भरपेट भोजन कराने हेतु श्री क्षुधा शांति सेवा संस्था आदि प्रमुख हैं।
महाराष्ट्र के हर गांव और नगर में परम्परागत रूप से गणेशोत्सव मनाया जाता है। डा. आचार्य ने अपनी अनूठी योजकता से जलगांव के गणेशोत्सव को हिन्दुओं के साथ-साथ मुसलमानों में भी लोकप्रिय कर दिया।
डा. आचार्य हर काम की योजना दीर्घकालीन दृष्टि से बनाते थे। इसके लिए उन्हें अनेक मान-सम्मान प्राप्त हुए। इनमें वाई अर्बन काॅपरेटिव बैंक द्वारा सहकार भूषण, रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी द्वारा अन्त्योदय पुरस्कार तथा दैनिक लोकमत की ओर से खानदेश भूषण पुरस्कार प्रमुख हैं। सहकार क्षेत्र की प्रमुख संस्था ‘सहकार भारती’ के वे 2004 से 2007 तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।
जनता सहकारी बैंक की रजत जयंती पर जलगांव में राष्ट्रीय स्तर का संगीत समारोह आयोजित किया गया। इसमें पंडित जसराज, पंडित शिवकुमार शर्मा तथा जाकिर हुसैन जैसे विख्यात कलाकारों ने एक मंच पर अपना कौशल दिखाया। आचार्य जी के प्रयास से बाबासाहब पुरंदरे ने छत्रपति शिवाजी के जीवन पर आधारित नाटक ‘जाणता राजा’ तैयार किया। जलगांव में इसके प्रदर्शन को डेढ़ लाख से भी अधिक लोगों ने देखा।
डा. आचार्य का सूत्र वाक्य था – समाज को मां की तरह प्रेम करो। इसी आधार पर समाज सेवा के अनेक सफल प्रकल्पों के निर्माता डा. अविनाश आचार्य का 25 मार्च, 2014 को जलगांव में ही निधन हुआ।