भारत स्वस्थ होगा, तो विश्वगुरु बन सकेगा, और इसके लिए लोक सहभाग जरूरी- डॉ. मोहन भागवत
भारत का स्वास्थ्य मॉडल ‘वाणिज्य’ नहीं ‘सेवा’ है – डॉ मनसुख मंडाविया
दिनांक 20 फरवरी, 2024 मंगलवार
लातूर – भारत पहले एक विकसित जीवन जीता था। हमने कई चुनौतियों का सामना करते हुए कई प्रयोगों और निष्कर्षों के माध्यम से जीवन जीने का सही तरीका जान लिया था। लेकिन आक्रमण काल में विश्व भारत से आगे निकल गया और गुलामी के कारण हमारा विकास अवरुद्ध हो गया। इसलिए, यदि भारत को अपना गौरव पुनः प्राप्त करना है, तो स्वास्थ्य में भी सुधार करना होगा और यदि भारत को स्वस्थ रहना है, तो लोक सहभाग आवश्यक है, ऐसा सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा। महाराष्ट्र के लातूर में डॉ. मोहनजी भागवत के कर कमलों द्वारा विवेकानन्द कैंसर एवं सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ.मनसुख मंडाविया, टाटा कैंसर हॉस्पिटल के निदेशक डॉ. राजेंद्र बडवे, देवगिरी प्रांत संघचालक अनिलजी भालेराव, विवेकानंद हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष डॉ. अनिल अंधुरकर, वैद्यकीय निदेशक अरुणाताई देवधर और डॉ. ब्रिजमोहन झवर एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
2015 में विवेकानन्द कैंसर हॉस्पिटल का तत्कालीन मुख्यमंत्री मा. देवेन्द्र फडनवीस ने उद्घाटन किया था। 2018 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मा. जगतप्रकाश नड्डा की मौजूदगी में केंद्र और राज्य सरकार की संयुक्त वित्तीय भागीदारी से इस अस्पताल को Tertiary Care Cancer Centre के रूप में विकसित करने की योजना की घोषणा की गई। तदनुसार, संस्था ने एक ही छत के नीचे तीनों कैंसर उपचार अर्थात् कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और सर्जरी और अन्य सुपर स्पेशियलिटी विभाग खोलकर कैंसर अस्पताल का विस्तार किया है। इस विस्तारित अस्पताल का उद्घाटन आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक पु. डॉ. मोहनजी भागवत, डॉ. मनसुख मंडाविया (केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री), डॉ राजेंद्र बडवे (निदेशक, टाटा मेमोरियल कैंसर हॉस्पिटल, मुंबई) की विशेष उपस्थिति में हुआ। इस अवसरपार पर डॉ. मोहनजी भागवत और केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया. पद्म भूषण डाॅ. अशोकजी कुकड़े द्वारा लिखित पुस्तक ‘ध्येय साधनेचे सांगाती’ भी प्रकाशित हुई। एस कार्यक्रम मे कमलाक्षी तुंगीकर ने गीत गायन किया.
टाटा कैंसर अस्पताल के निदेशक डॉ. राजेंद्र बडवे ने अपने भाषण मे कहा, ‘अब ‘वेस्ट इज बेस्ट’ का समय नहीं है, हम भी उनकी तरह सामर्थ्यशाली हो गए हैं, लेकिन हमें और अधिक करने की जरूरत है।’ भारत में 67% कैंसर को केवल देखभाल, नशा ना करने और स्वच्छता के माध्यम से रोका जा सकता है। यदि यह ध्यान रखा गया तो भविष्य में भारत दुनिया का एकमात्र रहनेयोग्य देश बना रहेगा। अच्छे स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद एक अच्छा विकल्प हो सकता है। लेकिन इसके लिए क्लिनिकल ट्रायल कर उसकी परिणामकारकता दुनिया को दिखाने की जरूरत है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने कहा, ”दुनिया सोचती है कि स्वास्थ्य का मॉडल ‘वाणिज्य’ है, लेकिन भारत का स्वास्थ्य मॉडल ‘सेवा’ है। अगर हम अपनी सांस्कृतिक विरासत उपयोग ऑर व्यवहार मे लाए तो हम कई बीमारियों और चुनौतियों को कम कर सकते हैं। साथ ही हमारे देश में जीवन जीने का तरीका जनभागीदारी से ही रहा है। विश्व बन्धुत्व की संस्कृति को आत्मसात कर जीना ही हमारी पहचान है। भारत उस दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हम कैंसर जैसी चुनौतियों पर अवश्य विजय प्राप्त करेंगे।
कार्यक्रम के अंत में अनिल अंधुरीकर ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “हमें लगता है कि जिन हाथों ने अयोध्या में रामलला की पूजा की, वे हाथ विवेकानन्द अस्पताल के मरीजों को आशीर्वाद देने के लिए यहां आए हैं। ऐसा कहते हूये उन्होंने पू. सरसंघचालक जी तथा अन्य गणमान्यो का आभार व्यक्त किया।
विवेकानन्द अस्पताल समाज के लिए आरोग्य तीर्थ है, इसकी ऊर्जा से समाज को लाभ होगा- डॉ. मोहन भागवत
डॉ मोहनजी भागवत ने कहा, हमारे प्राचीन ज्ञान और आधुनिक ज्ञान को कम करके आंकना उचित नहीं है। इसके अलावा एलोपेथी और आयुर्वेद की अपनी अलग विशेषताएं हैं, स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए दोनों का उपयोग किया जाना चाहिए। विवेकानन्द अस्पताल का प्रोजेक्ट शुरू करने वाले चार डॉक्टरों की संख्या आज बढ़ गई है। इसमें कई युवा और मातृशक्ति हैं। उन्होंने कहा कि धार्मिक तीर्थों में तपस्या करने वाले तपस्वियों की ऊर्जा वहां जाने वाले भक्तों को मिलती है, उसी प्रकार यह अस्पताल भी एक तीर्थ है, इसकी प्रेरणा और ऊर्जा सभी के लिए उपयोगी साबित होगी। यह कहकर उन्होंने सभी को शुभकामनाएं दी।
स्त्रोत:
विश्व संवाद केंद्र देवगिरी, कार्यालय छत्रपती संभाजीनगर



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