सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-24
*तेलुगु सरदार जिन्होंने वारंगल को दिल्ली सल्तनत के कब्जे से मुक्त कराया…।
त्रिपुरांतकम् में पाए गए सन् 1290 ई के एक शिलालेख के अनुसार अंबादेव नाम के एक विद्रोही कायस्थ नायक ने 75 राजाओं या नायकों को हराया था। ऐसे ही कलुवाचेरु में मिले सन् 1423 ई के एक प्रमाण के अनुसार मुसुनूरी नायक ककातियों के उत्तराधिकारी थे। ये सारे प्रमाण शिलालेख और ताम्रपत्र संस्कृत में हैं।
मोहम्मद बिन तुगलक ने हिंदुओं पर भारी कर लगा दिए। यह कर पहले की तुलना में 10 से 20 गुना तक अधिक थे। किसानों को अपनी फसलों का आधा हिस्सा तक देना पड़ता था। अनेक किसान खेती-बाड़ी छोड़कर अपनी जमीन से दूर जंगलों में जा छुपे। सुल्तान के सिपाहियों ने उनका पीछा किया और ऐसे बहुत सारे लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया।
ऐसे अत्याचारों से तंग आकर नायकों ने एक समूह बनाकर प्रलया नायक के नेतृत्व में सल्तनत के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। सन् 1325 ई तक इन्होंने संपूर्ण गोदावरी क्षेत्र को सुल्तान के शासन से आजाद करा लिया। प्रलया नायक को इस क्षेत्र का राजा घोषित कर दिया गया।
प्रलया नायक ने सन् 1333 ई में अपनी मृत्यु होने तक शासन किया। कोई पुत्र या पुत्री न होने के कारण प्रलया नायक की मृत्यु के बाद मुसुनूरी कपाया नायक को गद्दी मिली।
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