सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 17
मात्र 19 वर्ष की आयु में शहीद हो गए थे, जिन्हें सरदार भगत सिंह अपना गुरु मानते थे…।
करतार सिंह सराभा ने गदर पार्टी का सदस्य बनने के पश्चात हथियार चलाने का कठोर प्रशिक्षण प्राप्त करना आरम्भ कर दिया।
उन्होंने पिस्तौल तथा अन्य आग्नेयास्त्र चलाना सीखे। वे बम बनाने में भी निपुण हो गए। यही नहीं उन्होंने हवाई जहाज उड़ाना भी सीखा।
गदर पार्टी ने युगांतर आश्रम के साथ मिलकर सेनफ्रांसिस्को से एक मासिक पत्र ‘द गदर’ छापना और प्रसारित करना आरम्भ किया।
इस पत्र के प्रथम पृष्ठ पर ही लिखा होता था- *”अंग्रेजी राज का दुश्मन”
सबसे पहले संस्करण में करतार सिंह सराभा ने लिखा:-
“आज विदेशी धरती पर गदर की शुरुआत हो रही है, हमारी भाषा में कहें तो अंग्रेजी राज के विरुद्ध लड़ाई! हमारा नाम क्या है? गदर …. हमारा काम क्या है? गदर….. क्रांति कहाँ होगी? भारत में …. शीघ्र ही वो समय आएगा जब कलम और स्याही का स्थान राइफलें और लहू ले लेंगे”
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