सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-18
निडर मणिपुरी सेनापति जिन्होंने सन् 1891 में अंग्रेजों के विरुद्ध घमासान युद्ध लड़ा…
हॉलीवुड फिल्म 300 के माध्यम से हम सबको राजा लियोनिडास और उनके 300 स्पार्टन योद्धाओं के बारे में पता है। परंतु क्या हम अपने देश के ही ऐसे वीर बहादुरों योद्धाओं के बारे में जानते हैं जिन्होंने इससे भी बढ़कर कारनामे किये?
ऐसे दो महावीरों के नाम हैं- बाजी प्रभु देशपांडे और पावना ब्रजवासी।
बाजी प्रभु देशपांडे ने तीन सौ मराठा सैनिकों को साथ लेकर सन् 1660 में सिद्दी मसूद की 12 हज़ार की आदिलशाही फौज का सामना किया था।
तो वहीं पावना ब्रजवासी ने सन् 1891 में खोंगजॉम के युद्ध में तीन सौ मणिपुरी सैनिकों के साथ अंग्रेजों की विशाल सेना का सामना किया था। यह एंग्लो-मणिपुर युद्धों की श्रंखला (Chain of Anglo- Manipur War) का अंतिम युद्ध था। इतिहासकारों के अनुसार यह अंग्रेजों द्वारा भारत में लड़े गए सर्वाधिक भयंकर युद्धों में से एक था।
भारतीय इतिहास हमारे बहादुर शूरवीरों की ऐसे ही अविस्मरणीय सत्य कथाओं से भरा हुआ है। परंतु बहुत दुख का विषय है कि हमें हमारा सही इतिहास ही नहीं पढ़ाया जाता। पढ़ाया जाता है तो बस विदेशी आक्रमणकारियों और लुटेरों का इतिहास!
पूर्व से पश्चिम तक और उत्तर से दक्षिण तक भारत भूमि वीरों की उर्वरा भूमि रही है। कोई क्षेत्र, कोई प्रदेश ऐसा नहीं है जहाँ से ऐसा कोई शूरवीर योद्धा न निकला हो, जिसने विधर्मी विदेशी आक्रमणकारियों और आततायियों के दाँत खट्टे न किये हों।
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