सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-18
निडर मणिपुरी सेनापति जिन्होंने सन् 1891 में अंग्रेजों के विरुद्ध घमासान युद्ध लड़ा…
27 अप्रैल, 1891 को मणिपुर पूरी तरह से अंग्रेजों के आधिपत्य में आ गया। अंग्रेजों ने मणिपुरी झंडा उतार कर महल पर यूनियन जैक लहरा दिया। पाँच वर्षीय चंद्र चूड़ को राजा घोषित कर दिया, और अंग्रेजों ने पूरी सत्ता अपने हाथ में ले ली।
एच एस मैक्सवेल (HS Maxwell) को मणिपुर का सुप्रीटेंडेन्ट (अधीक्षक) बना दिया गया। 13 अगस्त, 1891 को क्रूर अंग्रेजों ने सेनापति तिकेंद्रजीत, राजकुमार, उनके भाईयों और जनरल थांगल को सरेआम फाँसी पर लटका दिया।
जिनके लिए राष्ट्रहित ही सर्वोपरि था, ऐसे देशभक्त पावना बृजवासी और सभी बहादुर मणिपुरी योद्धाओं को हमारा कोटि कोटि नमन्।
भारत के इतिहास में ऐसे अनेकों अविज्ञात वीरों ने कंटक पथ की ऐसी चुनौती को मानो प्रत्यक्ष जीया और साकार करके भी दिखाया-
देश प्रेम का मुल्य प्राण है,
देखें कौन चुकाता है।
कौन सुमन शैय्या तज,
कंटक पथ अपनाता है।।
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