सबके राम-11 “सत्यसंध पालक श्रुति सेतु”
राम ‘पुरुषोत्तम’ हैं। वैदिक संहिताएँ, पुराण और महाकाव्य इस पुरुषोत्तम के लिए नौ गुणों की प्रस्तावना करते हैं:–
पहला: ‘जिजीविषा’, अर्थात् जूझने का साहस, परंतु शील और अनुशासन के साथ।
दूसरा: ‘रक्षा’, यानी दुर्बलों की दुष्टों से सुरक्षा और दुष्ट-दमन।
तीसरा: ‘दीप्तिशील’ और ‘सौंदर्य की आभा’।
चौथा: ‘पुरुषार्थ’, जो त्याग के साथ संयुक्त होता है।
पाँचवाँ: ‘महाकरुणा’।
छठा: ‘प्रचोदन’, यानी भविष्य के लिए प्रेरणा बनने की शक्ति।
सातवाँ: ‘सबलता’, अर्थात् जीवन के विविध क्षेत्रों में विस्तार।
*आठवाँ: ‘भूमा’, यानी यश और प्रताप का विस्तार।
*नौवां:* ‘ऐश्वर्य’ या ‘रिद्धि’।
इन तत्त्वों का घनीभूत अवतार ही ‘राम’ होता है।
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