सबके राम-12 “सत्यसंध पालक श्रुति सेतु”
भारतीय साहित्य और कथा-परंपरा में कल की श्रृंखला में बताए नौ गुण अलग-अलग नायकों में मिलते हैं। देवताओं में केवल विष्णु ही ऐसे हैं, जिनमें ये नौ गुण विद्यमान हैं। मनुष्य होते हुए भी राम का चरित्र इन नौ गुणों से विभूषित है। इसलिए राम से अधिक सुंदर, शीलवान, विनयी और आदर्श होना किसी भी कालखंड में किसी भी मनुष्य के लिए संभव नहीं है।
मनुष्य की चेतना तीन स्तरों पर ऊर्ध्वगामी होती है। पहला ‘रस’, दूसरा ‘नैतिकता’ और तीसरा ‘आध्यात्मिकता’। ‘रामत्व’ मानव की इन तीनों चेतनाओं का शिखर है। राम इसलिए भी भारत के सबसे प्रिय आध्यात्मिक और दार्शनिक चरित्र हैं।
रामतत्त्व एक ऐसे जीवन की कल्पना है, जिसमें हर व्यक्ति अपने धर्म (कर्तव्य, स्वभाव) से बँधा हुआ है। फिर वह चाहे राजा हो या सैनिक, ऋषि हो या व्यापारी। ठीक उसी तरह जैसे आकाश में प्रत्येक ग्रह, नक्षत्र का अपना मार्ग है, जिसमें वह एक दूसरे से टकराए बिना अपनी गति और प्रगति में चलायमान हैं।