त्याग, सेवा, क्षमा, पुरुषार्थ, बंधुता, सौहार्द, सामंजस्य, सद्भाव आदि जीवन मूल्य के अंग – राधिका लड्डा
डॉ हेडगेवार स्मृति सेवा प्रन्यास, अलवर के तत्वाधान में आयोजित सँवर्धिनी कार्यक्रम की शुरुआत सहगीत से करते हुए उद्वघाटन सत्र, चर्चा सत्र व समापन समारोह को सम्पन्न किया गया, जिसके मध्य में काव्य गीत, समूह गीत व लघू नाटिका की प्रस्तुति भी दी गयी।
उद्वघाटन सत्र में मुख्य अतिथि उषा यादव, मुख्य वक्ता राधिका लड्डडा व कार्यक्रम संयोजिका चंद्रा सैनी ने मंच को सुशोभित किया व भारत माता के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। जिसका संचालन हेमा देवरानी द्वारा किया गया। मुख्य वक्ता राधिका लड्डडा ने स्त्री दर्शन पर अपने विचार रखते हुए भारतीय चिंतन में महिला,जीवन दर्शन, जीवन मूल्य, जीवन व्यवहार आदि पर बल दिया। राधिका लड्डा ने बताया कि भारतीय चिंतन मे महिला ग्रहस्थश्रम की ग्रहलक्ष्मी, धर्मपत्नी, परिवार को सन्तति देने वाली तथा पालन, पोषण के साथ संस्कार देने वाली है। महिला का समाज, राष्ट्र और सृष्टी की अंग होने के नाते समाज, राष्ट्र पुनरुथान और सृष्टि के संरक्षण में सहभाग अपेक्षित है।
सँवर्धिनी कार्यक्रम के मध्य में भारत माता को समर्पित काव्य गीत, समूह गीत तथा सनातन संस्कृति, नारी सँघर्ष की कहानी : आरम्भ से अंत विषय पर लघु नाटिका प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम की अगली कड़ी में सभी माता बहनों को चर्चा हेतू विभिन्न गठ में भेजा गया। जिसमें शिक्षा गठ की प्रर्वतक डॉ नीलम वर्मा व सुश्री पुष्पा, चिकित्सा गठ की प्रवर्तक डॉ सरोज गुप्ता व डॉ सुमन यादव, सामाजिक सेवा व स्वयं सहायता समूह गठ की प्रवर्तक डॉ चंद्रावती,डॉ नीलन यादव व विद्यार्थी वर्ग की प्रवर्तक लता भोजवानी रही। सभी गठो में सम्बन्धित विषय की समस्याओं पर विचार करते हुए समाधान का प्रयास कियक गया।
कार्यक्रम के समापन समारोह में मुख्य अतिथि डॉ सरोज गुप्ता ने संस्कार निर्माण पर बल दिया, मुख्य वक्ता रेणु पाठक द्वारा भारत के विकास में महिलाओं के योगदान पर बल देते हुए बताया कि “आज का भारत अपने गौरवशाली इतिहास को पुनः स्थापित कर रहा है और उसमें महिलाओं का विशेष योगदान है। अर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, विज्ञान, आध्यात्मिक आदि सभी क्षेत्रों में अपने कर्तृत्व से महिलाएं आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा कर रही है। परंतु फिर भी अभी कई क्षेत्रों में कार्य करने की आवश्यकता है क्योंकि परतंत्रता के काल में जो विसंगतिया आ गई थी उनके निशान जड़ से मिटाने हैं तो पूरे समाज को मिलकर प्रयास करने होंगे। किसी ने स्वामी विवेकानंद जी से पूछा कि महिलाओं की समस्याओं का समाधान किस प्रकार किया जाए तो कहा कि महिलाओं को शिक्षित करो, अपनी समस्याओं का समाधान वे स्वयं कर लेंगी। उन्होंने समाज रूपी गरुड़ पक्षी को अगर ऊँची उड़ान भरनी है तो उसके दोनों पंख सशक्त होने चाहिए”।कार्यक्रम सहसंयोजिका डॉ चन्द्रावती मंच पर उपस्तिथ रही। समापन समारोह का संचालन अंजली द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापित कार्यक्रम संयोजिका चन्द्रा सैनी द्वारा किया गया।

