श्रुतम्

शिवदेवी तोमर-1

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-19

16 वर्षीय युवती जिसने सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में कई अंग्रेजी सैनिकों को मार गिराया…

हम स्वतंत्र हैं और खुली हवा में श्वांस लेते हैं, ये सब हम इसलिए कर पाते हैं कि हमारे श्रेष्ठ पूर्वजों ने इस देश की मिट्टी के लिए अपना रक्त पानी की तरह बहाया था। उन्होंने अपना बचपन, अपनी जवानी, अपने सब स्वप्न और अपना पूरा जीवन इस मातृभूमि के नाम कर दिया था। ऐसे में कृतज्ञता से हमारा भी यह कर्तव्य है कि ऐसे वीर और वीरांगनाओं की स्मृतियों को धूमिल न होने दें, और उनसे प्रेरणा लेते रहें।

भारतवर्ष की आजादी के लिए लड़ने वाले कुछ प्रमुख क्रान्तिकारियों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों जैसे सरदार भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई, मंगल पांडे आदि के विषय में तो बहुत लोग जानते हैं, परंतु ऐसे हजारों वीर और वीरांगना हैं, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी आहुति दी, किन्तु उनके बारे में हम कुछ भी नहीं जानते।

ऐसी ही एक वीरांगना का नाम है- शिवदेवी तोमर, जिसने सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। वे मेरठ के पास बड़ौत की थीं। मेरठ से ही सन् 1857 का स्वतंत्रता संग्राम आरम्भ हुआ था।
इतिहास में शिवदेवी तोमर के बारे में अधिक जानकारी नहीं मिलती है। बस सन् 1857 की क्रांति में उनका नाम आता है। उनके बाल्यकाल और अन्य किसी बात के बारे में इतिहास मौन है।

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