“सामाजिक समरसता वर्तमान समय की आवश्यकता है”
सनातन काल से पूर्वजों के द्वारा स्थापित परंपरा व संस्कृति ने सर्व समाज को एकता एवम सामूहिकता में रखा है जिसका अनुपम अद्वितीय उदाहरण डूंगरपुर के राजपरिवार का राजतिलक रस्म है।राजतिलक रस्म सामाजिक समरसता की मिसाल है जिसमे महारावल को
भील समाज के कटारा गोत्र के सम्मानित माथुगामडा पाल के गमेती परिवार के द्वारा राजपरिवार का राजतिलक अंगूठे के खून से किया जाता है तथा केसरिया पाग पहनाई जाती है। यह रस्म आज भी निभाई जाती है
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