“कला का विमर्श समाज को जोड़ने वाला हो…”

“कला का विमर्श समाज को जोड़ने वाला हो, इसका प्रयोग गलत दिशा में करने वालों का प्रतिकार करने का कर्तव्य संस्कार भारती का है। मंदिर की लड़ाई 500 वर्षों तक चली, अब जाकर मंदिर बना। इस यज्ञ में सभी का योगदान बराबर रहा, जिसमें कला भी शामिल है। संगठन की ध्येयनिष्ठा तय हुई तो कला की दुनिया में भारत का विमर्श स्थापित होगा, मानवता का बंधुत्व भाव मजबूत होगा।”

डॉ मोहन भागवत, सरसंघचालक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ
(संस्कार भारती द्वारा बेंगलुरु में आयोजित “अखिल भारतीय कलासाधक संगम” में 4 फरवरी को)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *