श्रुतम्

तिरोत सिंह-7

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 14

मेघालय के राजा जो सन् 1829 से सन् 1833 तक अंग्रेजों के लिए आतंक बने रहे…

खासी क्षेत्र अपनी पहाड़ियों, दुर्गम रास्तों और जंगलों की वजह से छापामार युद्ध के लिए सर्वाधिक अनुकूल स्थान था। खासी योद्धाओं को इस पूरे क्षेत्र का बहुत अच्छे से ज्ञान था और यही उनके लिए इस युद्ध में सबसे अच्छी बात थी।

तिरोत सिंह ने अपने योद्धा सरदारों के साथ मिलकर कुशल रणनीति के तहत अंग्रेजों पर कई स्थानों पर सफलतापूर्वक छापामार हमले किये। इन हमलों में कई अंग्रेज मारे गए और सड़क बनाने का काम भी कई स्थानों पर रोकना पड़ा।

तिरोत सिंह और उनके साथी छोटे-छोटे समूहों में पहाड़ों, जंगलों से निकलकर अचानक हमला करते, और जब तक अंग्रेज प्रतिक्रिया करने की स्थिति में आते, ये लोग वापस पहाड़ों और जंगलों में गायब हो जाते।

शीघ्र ही तिरोत सिंह और उनके साथी छापामार युद्ध में पूरी तरह से निपुण हो गए। उनके हमले अब कहीं अधिक सटीक और मारक होने लगे। भारी हानि उठा रहे अंग्रेजों के होंसले पस्त होने से वे किसी भी प्रकार उनकी इस रणनीति का उत्तर नहीं दे पा रहे थे।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video