सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 14
*मेघालय के राजा जो सन् 1829 से सन् 1833 तक अंग्रेजों के लिए आतंक बने रहे…
भारतीय विद्या भवन के संस्थापक एवं लेखक इतिहासकार, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ, श्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने तिरोत सिंह के विषय में लिखा है:–
“तिरोत सिंह और उनके दस हज़ार लोग अंग्रेजों से सफलतापूर्वक बचते रहे, और अवसर मिलने पर पहाड़ियों से निकलकर मैदानी क्षेत्रों में आकर अंग्रेजों को भारी हानि पहुँचाते रहे। अंग्रेजों में उनका भारी भय व्याप्त हो गया। तिरोत सिंह के इस भय की पराकाष्ठा इतनी अधिक थी कि एक बार गुवाहाटी, जो कि अंग्रेजों का मुख्यालय था, वहाँ भी अंग्रेज अफसरों ने अपनी नावें बिल्कुल तैयार रखी थीं, ताकि तिरोत सिंह के आने पर तुरंत भाग सकें।”
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