बिरसा मुण्डा की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि कार्यक्रम
उदयपुर, 08 जून। धर्मान्तरित वनवासियों को जोड़ने में जीवन खपाने वाले बिरसा मुण्डा की पुण्यतिथि पर 9 जून शुक्रवार को जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ धर्मान्तरण के विरुद्ध जनजागरण का संकल्प व्यक्त किया जाएगा।
जनजाति सुरक्षा मंच राजस्थान के प्रदेश संयोजक लालूराम कटारा ने बताया कि दक्षिण बिहार के क्षेत्र में 15 नवम्बर 1875 को जन्मे बिरसा मुण्डा बचपन से प्रतिभाशाली थे। उनकी प्रतिभा देख वहां विद्यालय चलाने वाले जयपाल नाग ने उन्हें जर्मन मिशन स्कूल में पढ़ने की सलाह दी। लेकिन, वहां पढ़ने के लिए ईसाई होना जरूरी था। अतः तब बिरसा के पूरे परिवार ने चाईबासा जाकर ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया। उनका नाम बिरसा डेविड रख दिया गया। उनके मित्र उन्हें बिरसा दाउद के नाम से भी पुकारने लगे। पढ़ाई के दौरान बिरसा को खूंटी चाईनामा स्थित वनगांव जाने का अवसर मिला जहां वे वैष्णवभक्त आनंद पाण्डे के सान्निध्य में आए। उनके सान्निध्य में उन्होंने भारतीय दर्शन, भारतीय सनातन ग्रंथों का अध्ययन किया तब उनके मन में अपने प्राचीन सनातन धर्म के प्रति आस्था का पुनर्स्थापन हुआ। वे चार वर्ष तक एकांतवास में चले गए। जब लौटे तो उनका रूप एक संन्यासी की तरह था। इसके बाद उनहोंने अपना जीवन धर्मान्तरित हुए वनवासी बंधुओं को यह समझाने में लगा दिया कि ईसाई धर्म उनका अपना धर्म नहीं है। उन्होंने वनवासी बंधुओं में चेतना का संचार किया और अपने धर्म के प्रति आस्था दृढ़ रखने का संकल्प करवाया।
कटारा ने बताया कि आज भी धर्मान्तरण जनजाति समाज के लिए एक चुनौती बना हुआ है। धर्म और संस्कृति के लिए आवश्यक है कि जनजाति समाज अपनी जड़ों से जुड़ा रहे और अपनी प्राचीन पूजा पद्धति और आस्था पर अडिग रहे। यही कारण है कि जनजाति सुरक्षा मंच देश के संविधान के आर्टिकल 342 में भी आवश्यक संशोधन की मांग कर रहा है। इसी मांग को लेकर 18 जून को उदयपुर में डीलिस्टिंग हुंकार महारैली का आह्वान भी किया गया है। इसी संकल्प के साथ बिरसा मुण्डा की पुण्यतिथि पर शाम 4 बजे वनवासी कल्याण परिषद के गवरी चौराहा स्थित कार्यालय परिसर में पुष्पांजलि अर्पित की जाएगी।