सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 10

अंग्रेजों के विरुद्ध भारत की पहली मानव बम..

कुयिली रानी वेलु नचियार की ‘महिला सेना उदयल पधाई’ की एक सेनापति थी। वेलु नचियार तमिलनाडु में शिवगँगाई राज्य की रानी थीं। राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत कुयिली अपनी रानी के प्रति उतनी ही निष्ठावान थीं। रानी भी उन पर बहुत विश्वास करती थीं।

कुयिली के जन्म और उनके बचपन के विषय में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। शिवगँगाई के निकट कुडनचावड़ी में कुयिली का जन्म हुआ था। वे संभावर संप्रदाय की थीं, जो अपनी शिव भक्ति के लिए सुप्रसिद्ध है।

रानी वेलु नचियार का विवाह मुथुवडू गणतपेरिया उदैयाथेवर से हुआ था जो कि शिवगंगाई के राजा थे। इन दोनों की एक पुत्री हुई।
राजा उदैयाथेवर अंग्रेजों और अरकोट के नवाब की सम्मिलित फौजों से कलाइयार कोल में 25 जून 1772 को युद्ध करते हुए हुतात्मा हो गए। आक्रमणकारियों ने नगर को लूट लिया और राज परिवार को बंदी बनाने की कोशिश की, किन्तु रानी वेलु नचियार अपनी पुत्री वेलाक्षी के साथ निकटवर्ती राज्य विरूपाची पहुँच गई। यहाँ के राजा पलयकार कोपाला नायककर थे।

रानी वेलु नचियार विरुपाछी के निकट डिंडीगुल में आठ वर्षों तक छिप कर रहीं। डिंडीगुल शिवगंगाई से लगभग सौ किलोमीटर दूर है।
रानी अपने मन में दृढ़प्रतिज्ञ थीं कि किसी भी तरह अपना राज्य वापस लेना है। इसलिए उन्होंने इन आठ वर्षों में अपनी एक महिला योद्धा सेना तैयार कर ली। इस महिला सेना का नाम ‘उदयल पधाई’ रखा गया। कुयिली इसी महिला सेना की सेनापति थी।
कुयिली रानी की सर्वाधिक विश्वासपात्र और बुद्धिमान सहायकों में से एक थी।

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