श्रुतम्

रानी चेन्नम्मा-4

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 9

केलाड़ी राज्य पर रानी चेन्नम्मा का शासन:

रानी चेन्नम्मा अपने विवाह के मात्र 10 वर्षों के बाद विधवा हो गईं। राजा सोमशेखर नायक, जिनका स्वास्थ्य पहले से ही कुछ ठीक नहीं चल रहा था, सन् 1677 में स्वर्गवासी हो गए।
कहा जाता है कि कलावती नाम की एक ‘राजनर्तकी’ और उसके पिता ‘भरामें मावता’ ने संभवतः राजा को धीमा विष दे दिया, जिससे अस्वस्थ होने के बाद उनकी मृत्यु हो गई।

राजा के बिगड़ते स्वास्थ्य और उनका कोई उत्तराधिकारी न होने के कारण केलाड़ी राज्य के कुछ सरदार पहले से ही राजगद्दी हड़पने का षड्यंत्र करने लगे थे, परंतु रानी चेन्नम्मा ने बहुत सूझबूझ और नीति के साथ अपने विश्वस्त सरदारों को साथ लेकर सारे षड्यंत्र विफल किए और मजबूती से अपना शासन स्थापित कर लिया।

रानी चेन्नम्मा ने बसवप्पा नायक को गोद ले लिया (जो उनके निकट रिश्तेदारों में से एक था) और उन्हें शस्त्र विद्या और नीति की शिक्षा भी दिलाने लगीं। बसवप्पा आगे चलकर हिरिया बसप्पा के रूप में प्रस्थापित हुआ।

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