श्रुतम्

वीरापांड्या कट्टाबोम्मन-7

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-20

जिन्होंने ब्रिटिश राज का विरोध किया और उन्हें दो बार हराया…

कुछ समय पश्चात् अंग्रेजों ने एक बार फिर पंचालनकुरीची पर आक्रमण करने की सोची। उन्होंने मेजर बैनरमैन (Major Bannerman) के नेतृत्व में एक बड़ी सेना पंचालनकुरीची किले पर हमला करने के लिए भेजी। मेजर बैनरमैन ने किले को चारों ओर से घेर लिया और उसके अंदर घुसने के प्रयत्न करने लगा।
वीरापांड्या कट्टाबोम्मन जानते थे कि किले के अंदर अधिक दिन तक फँसे रहना उनके लिए बहुत बड़ी मुसीबत हो जाएगा। इसलिए उन्होंने बाहर निकल कर शत्रु पर तेज धावा बोलना उचित समझा।

कट्टाबोम्मन ने अपनी सेना को तैयार किया और किले के दक्षिणी दरवाजे से निकल कर अंग्रेजों पर जबरदस्त धावा बोल दिया। उस तरफ के दरवाजे पर लेफ्टिनेंट कॉलिंस (Lt. Collins) कमान संभाले हुए था। कट्टाबोम्मन की वीरता और अदम्य साहस के समक्ष वह और उसके सैनिक कुछ नहीं कर पाए, और युद्ध में कट्टाबोम्मन ने लेफ्टिनेंट कॉलिंस को मार गिराया। उन्होंने अंग्रेजों के तोपखाने और अन्य अस्त्र-शस्त्र भी नष्ट कर दिए।

उत्साहित कट्टाबोम्मन के हाथों मेजर बैनरमैन की सेना को बहुत बड़ी पराजय हाथ लगी। बची हुई अंग्रेजी फौज ने भाग कर पलायमकोट्टाई में शरण ली।
यह सब कट्टाबोम्मन के आत्मविश्वास, अदम्य साहस और विवेकशील निर्णयों का ही परिणाम था।

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