श्रुतम्

वीरापांड्या कट्टाबोम्मन-8

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-20

जिन्होंने ब्रिटिश राज का विरोध किया और उन्हें दो बार हराया…

वीरापांड्या जानते थे कि अंग्रेजी फौज उनसे बड़ी है और सैन्य साजो-सामान के मामले में भी आगे है। वे जानते थे कि अभी तो वे उन्हें हराने में सफल हो गए हैं। परंतु अंग्रेज अवश्य ही वापस आएँगे और तब उनकी फ़ौज बड़ी भी होगी और अधिक तैयार भी।
वे यह भी जानते थे कि पंचालनकुरीची का छोटा सा किला बहुत अधिक समय तक अंग्रेजों के आक्रमण को झेल नहीं सकता और उसकी दीवारें और दरवाजे बहुत लंबे समय तक अंग्रेजों की तोपों की मार नहीं सह पाएँगे।
इसलिए अन्य पलयक्करों से सहायता लेने और एक सम्मिलित बड़ी सेना बनाने के उद्देश्य से वीरापांड्या कट्टाबोम्मन अपने साथियों के साथ एक रात किले से निकले। अंग्रेजों ने अगले ही दिन एक बड़ी सेना के साथ पंचालनकुरीची पर आक्रमण कर दिया।

अंग्रेज वीरपांड्या कट्टाबोम्मन के 17 साथियों को पकड़ने में सफल हो गए। उनके विश्वस्त साथी थानापति पिल्लई भी इनमें शामिल थे।
क्रूर अंग्रेजों ने थानापति पिल्लई का सिर काट दिया और उनके सिर को एक लंबे बाँस पर लगाकर पंचालनकुरीची में डर प्रदर्शन के लिए गाड़ दिया। उन्होंने शेष 16 को भी सरेआम मौत के घाट उतार दिया। ताकि देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले योद्धाओं का जोश ठंडा हो जाए…।

Leave feedback about this

  • Quality
  • Price
  • Service

PROS

+
Add Field

CONS

+
Add Field
Choose Image
Choose Video