वी. टी. राजशेखर शेट्टी और उसकी भारत विरोधी योजना-5
वह अपने मनगढ़ंत दलित एजेंडे में कहते है:–
- “हम लगातार आर्यों के षडयंत्र का विरोध कर रहे हैं, जो कि भारत के मूल निवासियों को धर्म के आधार पर मुस्लिम, सिख, ईसाई आदि में बाँटता है।”
- यहाँ तक कि ‘गैर- हिंदुओं’ में भी अनुसूचित जातियाँ (20 प्रतिशत), अनुसूचित जनजातियाँ (10 प्रतिशत) और पिछड़ा वर्ग (35 प्रतिशत) हैं। ये सब अछूत हैं और यहाँ के मूल हैं। यह विभाजन भारत के संविधान में सुविधानुसार किया गया है।
- भारत की 85 करोड़ जनसँख्या में से 85 प्रतिशत हिंदू नहीं हैं। गैर-हिंदू जागरुक तबकों में इस बात की स्वीकार्यता बढ़ी है। यहाँ तक कि जिन हिंदुओं के पास ‘अपना दिमाग’ है; वे भी इस समाज शास्त्रीय सत्य को जानते हैं, और कोई नहीं स्वयं डॉ. बाबासाहब अंबेडकर ने इन ऐतिहासिक तथ्यों को स्पष्ट किया है। • परन्तु, मुस्लिम, ईसाई, सिख, अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के कुछ भोले लोग यह कह सकते हैं, कि भारत का संविधान तो ऐसा कुछ नहीं कहता। ‘भारत का संविधान और जनगणना उन्हें हिंदू के दायरे में रखता है।’ यह वास्तविकता है।
• सिखों को भी हिंदू की श्रेणी में ही रखा जाता है। परन्तु, क्या आज सिख इस बात को स्वीकार करेंगे, कि वे हिंदू ही हैं?”
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