श्रुतम्

भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र-13

दलित-मुस्लिम गठबंधन के पैरोकार और अम्बेडकर-1

हाल के सीएए-विरोधी प्रदर्शनों में हमने देखा कि भीड़ ने अम्बेडकर के पोस्टर उठा रखे थे। साथ ही वे तिरंगा लिए भी थे। वे स्वयं को संविधान के रक्षक के तौर पर प्रस्तुत करना चाहते थे। यद्यपि, ये लोग जो कुछ कर रहे थे; वह पूरी तरह असंवैधानिक था।

परन्तु, शेट्टी जैसे लोग भी हैं; जो ‘दलित-मुस्लिम गठबंधन’ के लिए आतुर हैं, और इसके लिए हिंदुओं को खलनायक सा दिखाने एवं बनाने का प्रयास कर रहे हैं।
इनका दुस्साहस देखिए, ये डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी की टिप्पणियों को या तो तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करते हैं या फिर उनकी व्याख्या उनके संदर्भों से काट छांट करके करते हुए नया तथ्य/ विमर्श (नरेटिव) गढ़ने की कोशिश करते हैं।

उदाहरण के तौर पर वी.टी.राजशेखर शेट्टी अपनी पुस्तक ‘Brahminism: Weapons to Fight Counter Revolution (ब्राह्मणवाद: प्रतिकार से लड़ने के हथियार)’ के पृष्ठ संख्या 17 पर लिखते हैं–
“भारत में बौद्ध धर्म को कुचलने के लिए ब्राह्मणवादी आक्रमणकारियों ने जो रास्ते और तरीके प्रयोग किए, वे किसी भी मायने में कम हिंसक और जहरीले नहीं थे।”

पाठकों की सुविधा के लिए हम आगामी श्रंखला में डॉ. अम्बेडकर जी के लेखन और भाषणों के कुछ उदाहरण सामने रख रहे हैं; जिससे ‘दलित-मुस्लिम गठजोड़’ के नारे की वास्तविकता स्वतः उजागर होती दिखेगी…।

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