खगोल शास्त्री मेघनाथ साह “6 अक्टूबर / जन्मदिवस”

खगोल शास्त्री मेघनाथ साह “6 अक्टूबर / जन्मदिवस”

साहा का जन्म 6 अक्टूबर 1893 को ढाका से ४५ कि॰मी॰ दूर शिओरताली गाँव में हुआ था। उनके पिता का नाम जगन्नाथ साहा तथा माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। गरीबी के कारण साहा को आगे बढ़ने के लिये बहुत संघर्ष करना पड़ा। उनकी आरम्भिक शिक्षा ढाका कॉलेजिएट स्कूल में हुई। इण्ट्रेंस में पूर्वी बंगाल मे प्रथम रहे। इसके बाद वे ढाका कालेज में पढ़े। वहीं पर विएना से़ डाक्टरेट करके आए प्रो नगेन्द्र नाथ सेन से उन्होंने जर्मन भाषा सीखी। कोलकाता के प्रेसिडेन्सी कॉलेज से भी शिक्षा ग्रहण की। 16 जून 1918 को उनका विवाह राधा रानी राय से हुआ। 1920 में उनके 4 लेख सौरवर्ण मंडल का आयनीकरण, सूर्य में विद्यमान तत्त्वों पर, गैसों की रूप विकिरण समस्याओं पर तथा तारों के हार्वर्ड वर्गीकरण पर फिलासाफिकल मैगजीन में प्रकाशित हुए। इन लेखों से पूरी दुनिया का ध्यान साहा की ओर गया। सन 1923 से सन 1938 तक वे इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक भी रहे। इसके उपरान्त वे जीवन पर्यन्त कलकत्ता विश्वविद्यालय में विज्ञान फैकल्टी के प्राध्यापक एवं डीन रहे। सन 1927 में वे रॉयल सोसायटी के सदस्य (फेलो) बने। सन 1934 की भारतीय विज्ञान कांग्रेस के वे अध्यक्ष थे। साहा इस दृष्टि से बहुत भाग्यशाली थे कि उनको प्रतिभाशाली अध्यापक एवं सहपाठी मिले। उनके विद्यार्थी जीवन के समय जगदीश चन्द्र बसु एवं प्रफुल्ल चन्द्र रॉय अपनी प्रसिद्धि के चरम पर थे। सत्येन्द्र नाथ बोस, ज्ञान घोष एवं जे एन मुखर्जी उनके सहपाठी थे। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्रसिद्ध गणितज्ञ अमिय चन्द्र बनर्जी उनकी बहुत नजदीकी रहे। उनका देहान्त दिल्ली मे योजना भवन जाते समय हृदयाघात से हुआ।

उन्होंने देश की आजादी में भी योगदान दिया था। अंग्रेज सरकार ने वर्ष 1905 में बंगाल के आंदोलन को तोड़ने के लिए जब इस राज्य का विभाजन कर दिया तो समूचे मेघनाद भी इससे अछूते नहीं रहे। उस समय पूर्वी बंगाल के गर्वनर सर बामफिल्डे फुल्लर थे। अशांति के इस दौर में जब फुल्लर मेघनाद के ढाका कालिजियट स्कूल में मुआयने के लिए आए तो मेघनाद ने अपने साथियों के साथ फुल्लर का बहिष्कार किया। नतीजतन मेघनाद को स्कूल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। प्रेसीडेंसी कालेज में पढ़ते हुए ही मेघनाद क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। उस समय आजादी के दीवाने नौजवानों के लिए अनुशीलन समिति से जुड़ना देश सेवा का पहला पाठ माना जाता था। मेघनाद भी इस समिति से जुड़ गए। बाद में मेघनाद का संपर्क नेताजी सुभाष चंद्र बोस और देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद से भी रहा।

16 फरवरी 1956 को दिल्ली मे मेघनाथ साह का निधन हुआ।

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