= 03 – कल्याणमल सोनी जी
झालावाड़- मैं भाग्यशाली हूं, श्रीराम लला की प्राण प्रतिष्ठा देख सकूंगा
- यह बात भवानीमंडी निवासी 77 वर्षीय कल्याणमल सोनी ने कही. छोटी उम्र में ही आरएसएस के साथ जुड़ गए थे। अयोध्या में कार सेवा के दौरान उनके पास विश्वहिन्दू परिषद के जिला महामंत्री का दायित्व था।
- वे 2 दिसंबर 1992 को पत्नी कृष्णा बाई व पुत्र के साथ कार सेवक के रूप में ट्रेन से अयोध्या रवाना हुए थे। 3 दिसंबर को वहां उतर गए थे।
- 4 दिसंबर को बाबरी ढांचे को लेकर कोर्ट का फैसला आने वाला था।
- इस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। इसके बाद 5 दिसंबर को संघ से संदेश आया कि महिलाएं हवन व साफ-सफाई की व्यवस्था देखेंगी। प्रत्येक पुरूष पास स्थित सरयू नदी से चार-चार मुठ्ठी रेत लेकर आएंगे।
कल्याणमल सोनी के पुत्र कोटा में पुलिस उपाधीक्षक राजेश सोनी ने बताया कि 1992 में वे 17 साल के थे और झालावाड़ कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे। तब वे अपने दोस्तों के साथ झालावाड़ से कारसेवा के लिए अयोध्या पहुंच गए थे। वहां पर दोस्तों के साथ राजस्थान से आने वाले कारसेवकों के लिए ठहरने एवं भोजन की व्यवस्था में लगे हुए थे। माता-पिता के कारसेवा के लिए अयोध्या पहुंचने पर उनसे मुलाकात हुई। वहां
04 – ओम केशरी जी
झारखंड – पहले माथे पर ‘शिला’… अब घर-घर में अक्षत, झारखंड के कारसेवक ने सुनाई राम मंदिर की अनसुनी कहानी; हुए भावुक
- वर्ष 1989-90 की बात है। तब ओम केशरी 23 साल के थे। विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता थे। कहा कि जब राम जन्मभूमि के लिए आंदोलन की शुरुआत हुई थी तब उन लोगों को भी तमाम जानकारियों से अवगत कराया जाता था। इसी क्रम में जब राम शिला पूजा अभियान की शुरुआत हुई तो दुमका में भी इस अभियान को जोर-शोर से चलाया गया था।उन दिनों की एक तस्वीर को दिखाते हुए ओम कहते हैं कि गौर से देखिए इस तस्वीर को। कैसे माथे पर ‘जय श्री राम’ का केशरिया पट्टा बांधकर हम शिला पूजन कराने निकले थे।
इस तस्वीर में उनके अलावा मिथिलेश झा, अजय केशरी, प्रशांत दिवेद्वी, रघुवंश तिवारी, स्व. सुरेंद्र केशरी, सुधीर दास, संजय केशरी, संजीव केशरी, रवि केशरी समेत कई युवा व बच्चे शामिल थे। यहां से निकल कर कुमारपाड़ा की ओर बढ़ने पर अक्षत, पत्रक बांट रहे जत्था से मुलाकात हो जाती है।


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