विध्वंसक चौकड़ी के निशाने पर आदिवासी (वनवासी)-7
औपनिवेशिक शासन ने वनवासियों पर इनर-लाइन परमिट एवं अन्य प्रकार के प्रतिबंध थोपकर जबरन अलगाव पैदा कर दिया। परिणामस्वरूप अन्य समुदायों के साथ उनके स्वाभाविक संवाद का क्रम भी बलपूर्वक कुचल दिया गया।
एक ओर वनवासी समुदाय बाकी सनातन समाज से कटा हुआ था; उनका अंतर-सामुदायिक संवाद प्रतिबंधित कर दिया गया था। दूसरी ओर, औपनिवेशिक सत्ता के सौजन्य से भोले-भाले अशिक्षित वनवासियों का ईसाई धर्मांतरण निर्बाध होकर चल रहा था।
उनकी गतिविधियाँ पूर्वोत्तर के राज्यों में बहुत सफल रही हैं। परन्तु देश के अन्य भागों में उनका प्रभाव और घुसपैठ किसी भी प्रकार से कम नहीं कही जा सकती है।
विध्वंसक चौकड़ी ने किस तरीके से देश के पूर्वोत्तर में अपना जाल फैलाया और भारत विरोधी भावनाओं को हवा दी, उस पर एक दृष्टि आगे की कड़ी से डालते हैं….
Leave feedback about this