श्रुतम्

भारत को रक्तरंजित करने का षड्यंत्र-51

जिहादी रक्तबीज, हर बूँद से नया रूप-13

एंग्लो-मुस्लिम गठजोड़
(Anglo-Muslim Alliance)

आज के दौर की कार्यप्रणाली कमोबेश उपनिवेशकालीन समय के अंग्रेज-जिहादी गठजोड़ से काफी हद तक मिलती-जुलती है। अब ब्रिटिश राज की जगह चर्च ने ले ली है। नक्सल पूर्ववर्ती भूमिका में हैं। वही भूमिका जो भारत के विभाजन के समय उनके पूर्वज वामपंथियों ने निभाई थी।

जिस तरीके की सूरत ‘न्यू अलीगढ़ मूवमेंट’ ने अख्तियार की है; वह रहस्यमयी तरीके से बिल्कुल अलीगढ़ मूवमेंट जैसी ही है।
अलीगढ़ मूवमेंट की शुरुआत “Muhammadan Education Conference (The Aligarh Movement) [मोहम्मडन एजुकेशन कान्फ्रेंस (अलीगढ़ मूवमेंट)]” स्थापना से हुई थी। इसने ‘मुस्लिम लीग’ के गठन का मार्ग प्रशस्त किया।
इसके उपरान्त ‘Muslim League Volunteer Corps’ (मुस्लिम लीग वालेंटियर कोर), जैसे कट्टरपंथी संगठनों की नींव रखी गई।
इससे भी आगे बढ़कर ‘मुस्लिम नेशनल गार्ड्स’ जैसे आतंकवादी संगठनों की स्थापना की गई। इसका बाद में अंतिम रूपांतरण ‘पाकिस्तान नेशनल गार्ड्स’ के तौर पर सामने आया।
इसी संगठन ने हिंदुओं के प्रति अपनी गहरी घृणा के चलते नौआखली दंगे से लेकर सिंध और लाहौर के दंगों में कई नरसंहारों को अंजाम दिया था।

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