वी. टी. राजशेखर शेट्टी और उसकी भारत विरोधी योजना-3
शेट्टी ने अपनी वर्ष 1983 में बेंगलूर दलित साहित्य अकादमी से प्रकाशित पुस्तक India’s Muslim Problem: Agony of the India’s Single Largest Community में सुझाव दिया कि –
‘भारत में अफगान मुस्लिम लुटेरे अहमद शाह अब्दाली जैसे आक्रांता की जरूरत है; जो भारत में इस्लामिक राज की स्थापना की अवधारणा को अपने तलवार के दम पर निरुपित कर सके।’
(अब्दाली ने गैर मुस्लिमों का किस कदर नरसंहार किया, लूटपाट की, इतिहास में भली प्रकार से दर्ज है।)
अब यह सुधी पाठकों को तय करना है, कि अब्दाली की तलवार ने सभी गैर मुस्लिमों की गर्दन रेती या फिर हाशिये पर खड़ी और पिछड़ी जातियों को बख्श दिया था?
उसकी पुस्तक में एक और विरोधाभास नजर आता है–
जब वह भारत की मूल संस्कृति में विवाह की बात करते हैं; तो हिंदू विवाह को पुरुष सत्तात्मक और मात्र वासना पूर्ति का माध्यम बताते हैं; परन्तु वहीं मुस्लिम समाज में ‘बहु-विवाह’, ‘निकाह हलाला’ और ‘तीन-तलाक’ आदि की जम कर प्रशंसा करते हैं। जैसे मानो यह मुस्लिम समाज की बहुत पवित्र रस्में हैं।
शेट्टी बहुत शातिर तरीके से मुस्लिम समाज में आज भी चल रही बुर्का और पर्दा प्रथा पर कुछ भी कहने से बचते हैं।
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