सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-25
जिन्होंने सन् 1822-24 में अपने पराक्रम से अंग्रेजों को दहला दिया था…
एक बार अंग्रेज अपना ख़जाना ज्वालापुर से सहारनपुर ले जा रहे थे और उसकी रक्षा के लिए 200 से अधिक सैनिकों की एक अंग्रेजी फौज साथ में थी। कल्याण सिंह गुर्जर ने अपने सैनिकों के साथ उन पर अचानक आक्रमण कर दिया और बहुत सारे अंग्रेजी सैनिकों को मार कर ख़जाना अपने कब्जे में कर लिया। अंग्रेजों ने कल्याण सिंह को पकड़ने का बहुत प्रयास किया, परंतु असफल रहे।
सन् 1822 से लेकर 1824 तक कल्याण सिंह के नेतृत्व में वीर गुर्जरों ने अंग्रेजों को सहारनपुर क्षेत्र में बहुत नुकसान पहुँचाया और पूरे क्षेत्र से अंग्रेजी राज लगभग समाप्त कर दिया।
सहारनपुर और मेरठ स्थित अंग्रेजी फौज गुर्जरों के इस विद्रोह को दबाने में असफल रही। तब अंग्रेजों ने गुर्जरों को ‘आपराधिक जाति’ घोषित कर दिया। साथ ही उनको देखते ही गोली मारने के आदेश जारी कर दिए।
सहारनपुर और मेरठ में मौजूद अंग्रेज अफसर अब तक बहुत घबरा चुके थे, और उन्होंने मजबूर होकर सहायता के लिए हाईकमान से गुहार लगाई थी।
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