सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-25
जिन्होंने सन् 1822-24 में अपने पराक्रम से अंग्रेजों को दहला दिया था…
अंग्रेज सैनिकों का नेतृत्व करते हुए कैप्टन यंग गढ़ी के अंदर घुसा। अंदर घुसते ही उसका सामना एक विद्रोही सैनिक से हुआ जिसकी तलवार के वार से उसे फ्रेडरिक शोर ने बचाया। फिर भी तलवार के वार से कंधे के पास एक घाव हो गया था।
अब गढी के अंदर घमासान युद्ध आरम्भ हो गया। अनेकों गुर्जर वीरगति को प्राप्त हो चुके थे, अंग्रेजों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा था।
ऐसे में किले की दीवार के पास ही एक छत पर फ्रेडरिक शोर और कल्याण सिंह का आमना-सामना हो गया।
अंग्रेज लेखक ने कल्याण सिंह गुर्जर का वर्णन करते हुए लिखा है:–
“एक बहुत बहादुर और हट्टा कट्टा पहलवान जैसा योद्धा, जिसने अपने शरीर को केसरिया रंग में रंगा हुआ था और जो अपने इस अंतिम युद्ध के लिए पूरी तरह मतवाला था, वह एक तलवार और ढाल लिए था और अब तक सात अंग्रेज सैनिकों को मौत के घाट उतार चुका था।”
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