श्रुतम्

कनक लता बरूआ-2

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 15

स्वतंत्रता सेनानी जो मात्र 17 वर्ष की आयु में राष्ट्रीय ध्वज के लिए बलिदान हुई…

कौन थी कनक लता बरूआ? कितना जानते हैं हम भारत माँ की इस वीर बेटी के बारे में? कनक लता ही क्या, हम अनगिनत ऐसे वीर-वीरांगनाओं के बारे में बहुत ही कम जानते हैं।
पूरे देश में न जाने कितने ऐसे गुमनाम वीर-वीरांगनाओं ने देश के लिए बलिदान दिया, तब कहीं जाकर हम आजाद वायु में साँस ले पाए…।

कनक लता बरूआ का जन्म 22 दिसंबर, 1924 को कृष्णकांत और करणेश्वरी बरुआ के घर बोरंगबाड़ी, गोहपुर, जनपद-दरांग, असम में हुआ था।
इन्हें ‘कंका’, ‘वीरबाला’ इत्यादि नामों से भी जाना जाता था।* रंग साँवला होने की वजह से इनका घर का उपनाम काली भी था।

मात्र 5 वर्ष की अल्पायु में कनक लता ने अपनी माँ को खो दिया। उनके पिता एक किसान और सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने दूसरा विवाह कर लिया। परंतु जब कनक लता 13 वर्ष की थी तब उनके पिता की भी मृत्यु हो गई।

कनक लता ने अपने गाँव के विद्यालय में कक्षा तीन तक शिक्षा ग्रहण की थी, तत्पश्चात अपने छोटे भाई-बहनों का ध्यान रखने के लिए और घर के कामकाज के लिए विद्यालय छोड़ दिया।
इनके छोटे भाई का नाम रजनीकांत बरुआ और बहन का नाम दिव्यलता बरूआ था।

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