Welcome to Vishwa Samvad Kendra, Chittor Blog इतिहास दिवेर युद्ध में महाराणा प्रताप की निर्णायक विजय
इतिहास

दिवेर युद्ध में महाराणा प्रताप की निर्णायक विजय

दिवेर युद्ध में महाराणा प्रताप की निर्णायक विजय

भामाशाह का सहयोग प्राप्त कर,
राणा ने सैनिक शक्ति बढ़ाई।
नजदीकी थानों पर अधिकार कर,
फिर आगे की रणनीति बनाई।।

अक्टूबर 1582 में सरदारों,
भील साथियों को साथ लिया।
कुम्भलगढ़ को कूच किया और
दिवेर को घेर लिया।।

भारी युद्ध हुआ रण में,
मुगलों का साहस था टूटा।
सुल्तान खान ने मुंह की खाई,
जिसने वीरभूमि को था लूटा।।

घायल हुआ सुल्तान खां रण में,
अमर सिंह के बारो से।
हाथी सहित हुआ था घायल,
भालों और तलवारों से।।

आंख बचाकर देकर धोखा जब,
सुल्तान घोड़े पर सवार हो भागा।
अमर सिंह ने क्षण भर न देर की,
उसके सम्मुख हो, भाला दागा।।

घायल हो निस्तेज हुआ वह,
अमर सिंह को देख रहा था।
लगता था मानो वह उनके,
सम्मुख माथा टेक रहा था।।

दिवेर के इस भीषण रण में,
अकबर को थी मिली पराजय।
माण्डलगढ़ और चित्तौड़ छोड़कर,
थी सभी ओर मेवाड़ विजय।।

घोर पराजय के कारण तब,
अकबर का सपना चूर हुआ।
जो भ्रम पाले बैठा था मन में,
वह भ्रम भी चकनाचूर हुआ।।

महाराणा के पराक्रम के आगे,

अकबर ने मुंह की खायी थी॥

दिवेर के इस युद्ध में,

महाराणा ने निर्णायक विजय पायी थी॥

Exit mobile version