रोईपुल्लानी-1

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा:- 16

84 वर्षीय मिजोरम की मुखिया जिन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध झुकने से स्पष्ट मना किया…

मिजोरम के कुछ लोगों के अतिरिक्त रोईपुल्लानी का नाम बहुत ही कम लोग जानते हैं। इतिहास में भी उनके विषय में बहुत अधिक उल्लेख नहीं है।

सन् 1870 ई तक मिजोरम अलग-अलग कबीलाई क्षेत्रों में बँटा हुआ था। प्रत्येक का अपना अलग सरदार था।
अंग्रेज अभी तक मिजोरम पर आधिपत्य नहीं कर पाए थे। परंतु उन्होंने आसपास के क्षेत्र पर आधिपत्य कर लिया था, और वहाँ चाय के बागान लगा रखे थे। इन चाय के बागानों की देखरेख भी अंग्रेज अफसर और सिपाही ही करते थे।

इसके अतिरिक्त स्थान-स्थान पर बाजार और हाट भी बनाए थे, जहाँ अंग्रेज सामान्य लोगों की जरूरत की चीजें महंगे दामों पर बेचते थे और बड़ा लाभ कमाते थे।
अंग्रेजों की भारतीय लोगों का हर प्रकार से शोषण करने, उन्हें अपरोक्ष रूप से जैसे तैसे लूटने की कुटिल मानसिकता दिखाई देती थी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *