संबूधन फोंगलो-1

सदियों तक चली घुसपैठी आक्रमणकारियों के विरुद्ध भारतीय प्रतिरोध की गाथा-26

जिन्होंने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ने के लिए एक सेना खड़ी की…

संबूधन फोंगलो के विषय में सम्भवतः उत्तर पूर्वी भारत की दीमासा जनजाति के बाहर बहुत ही कम लोग जानते हैं।
जैसे सुभाष चंद्र बोस ने अंग्रेजों से लड़ने के लिए आजाद हिंद फौज बनाई थी, वैसे ही संबूधन फोंगलो ने उत्तर पूर्वी भारत के दीमासा क्षेत्र में अंग्रेजों से लड़ने के लिए एक सेना बनाई थी।
परंतु ऐसे हजारों अन्य गुमनाम योद्धाओं की तरह उनके विषय में भी हमारी नई पीढ़ी नहीं जानती।

अंग्रेजों ने बर्मा के साथ 1826 में हुई ‘यांदबू की संधि’ के बाद उत्तर पूर्वी राज्यों के कई क्षेत्रों में अपना प्रभाव बढ़ाते हुए अधिकार कर लिया था। यांदबू संधि के अनुसार अंग्रेजों का असम, मणिपुर, कछार और जैंतिया पहाड़ियों पर कब्जा हो गया था।

उन्होंने दो अलग-अलग चरणों में 1832 और 1854 में ‘दीमासा क्षेत्र’ पर आधिपत्य कर लिया।
(असम का कछार और नौगाँव, जतिंगा घाटी के बीहड़, कार्बी आंगलोंग जिले का निचला हिस्सा, नागालैंड के दीमापुर का कुछ हिस्सा और मणिपुर का जीरी बाम क्षेत्र दीमासा क्षेत्र में आता है।)

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